सितनीकोव के मुताबिक फ्रांस का यह रुख तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के लिए बुरी खबर है। ये फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रां को तय करना है कि वह ग्रीस के साथ नए समझौते का निर्वहन करते हैं, या पड़ोसियों को रफाल के अचूक निशाने पर लेते हैं। रफाल विमान भारत में तब सुर्खियों में आया, जब जुलाई में पांच विमानों का पहला बैच यहां आया। एक रिपोर्ट के मुताबिक तुर्की पहले ही विवादित क्षेत्र में एस-400 मिसाइलें तैनात कर चुका है। जबकि सुखोई एसयू-37 जेट का बेड़ा बढ़ाने की बात कह चुका है। हालांकि तुर्की और उसके सहयोगी रफाल का तोड़ नहीं ढूंढ पाए हैं। उसे अभी एस-400 जैसी रूसी मिसाइल की आवश्यकता है, क्योंकि रफाल युद्ध में कोई मौका नहीं देता।
ऐसा है रफाल
रफाल फाइटर जेट को फ्रांसीसी कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने बनाया है। यह अपनी उत्कृष्ट भार वहन क्षमता और उन्नत हमलावर प्रणाली के लिए जाना जाता है। यह एक साथ हवा से जमीन और हवा से हवा में अचूक हमला कर सकता है। रफाल के जवाब में चीन का चेंगदू जे-20 और पाकिस्तान का एफ-16 है। लेकिन इन दोनों की क्षमता रफाल से कम है। रफाल की रेंज 3700 किमी है और यह अपने साथ चार मिसाइलें ले जा सकता है। हाल ही पांच रफाल जेट का बेड़ा भारतीय सेना में शामिल हो गया।