यह उल्लेखनीय है कि कुर्द नेतृत्व वाली सीरियन डेमोके्रेटिक फोर्सेज मान रही थी कि ट्रंप उन्हें धोखा दे रहे हैं। फिर भी उन्होंने बगदादी को टै्रक करना जारी रखा। सीरिया में आखिरी आइएस का आखिरी गढ़ बनने के बाद कुर्द जासूसों ने बगदादी के ठिकानों पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया। सीरियन डेमोक्रेटिक काउंसिल के अध्यक्ष इल्हाम अहमद ने कहा, हमने मार्च से ही बगदादी की मौजूदगी का पता लगा रहे थे। क्योंकि उन्हें अमरीका पर भरोसा था। अहमद ने कहा, हमारी एजेंसियां अमरीकी खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर उसको दिन-रात टै्रक कर रही थी।
एक अखबार का दावा है कि बगदादी के बारे में शुरुआती जानकारी गर्मियों में उस वक्त मिली, जब उसके दूत को पत्नी सहित गिरफ्तार किया गया था। अहमद ने कहा ट्रंप अपनी राजनीतिक और आर्थिक फायदों को देखते हुए तुर्की को कुर्द क्षेत्रों में 30 लाख सीरियाई शरणार्थियों को बसाने के प्रयासों को रोकेंगे। कुर्दों को उम्मीद है कि अमरीका सीरिया के भीतर कुर्द स्वायत्तता की रक्षा करेगा। साथ ही सीरियाई सरकार से बातचीत का भी भरोसा है। अहमद का कहना है कि शुरू से आइएस के खौफ को खत्म करने में सीरियाई कुर्दों ने अपना वादा निभाया है, अब अमरीका को कुर्दों को अपनी जमीन दिलाकर वादा निभाना चाहिए।
अभी भी कई देशों में सक्रिय है आइएस
अमरीकी सेना और स्थानीय बलों के अभियान के बावजूद आइएस के आतंकी अभी कई देशों में सक्रिय हैं। इराक के दियाला, सलाहुद्दीन, अंबार, किरकुक और निवेनेह जैसे प्रांतों में अब भी आइएस अपहरण और बम धमाकों को अंजाम दे रहा है। यहां लगभग दो हजार लड़ाके हिंसक गतिविधियों में लगे हुए हैं। पूर्वी सीरिया में ये खड़े हो रहे हैं। मिस्र के सिनाई प्रांत में आइएस के खिलाफ फरवरी 2018 में शुरू हुए अभियान में सैकड़ों चरमपंथी मारे गए हैं। 2015 में शर्म अल शेख से उड़ान भरने वाले एक रूसी विमान को गिरा दिया गया था। इसमें सवार सभी 224 लोग मारे गए थे। इसके अलावा सऊदी अरब,यमन, नाइजीरिया, अफगानिस्तान, श्रीलंका और इंडोनेशिया और फिलीपींस में भी ये सक्रिय हैं।