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वैश्विक अर्थव्यवस्था पर आईएमएफ की चेतावनी : ‘सबसे बुरा वक्त आना बाकी’, भारत के ग्रोथ अनुमान में भी भारी कटौती

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वर्ष 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था के कठिन दौर से गुजरने की भविष्यवाणी की है। इसने आर्थिक प्रगति का पूर्वानुमान घटाया है और दुनिया के एक तिहाई हिस्से में आर्थिक संकुचन का अनुमान लगाया है। भारत के ग्रोथ अनुमान में भी आईएमएफ ने भारी कमी की है।

नई दिल्लीOct 12, 2022 / 09:32 am

Swatantra Jain

IMF said on the global economy: 'The worst is yet to come'

IMF said on the global economy: ‘The worst is yet to come’, Reduces India growth Projection

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वर्ष 2023 में वैश्विक अर्थव्यवस्था के कठिन दौर से गुजरने की भविष्यवाणी की है। इसने आर्थिक प्रगति का पूर्वानुमान घटाया है और दुनिया के एक तिहाई हिस्से में आर्थिक संकुचन का अनुमान लगाया है। अपने ग्रोथ अनुमान प्रोजेक्शन में आईएमएफ ने भारत के जीडीपी अनुमान को 6.8 फीसदी कर दिया है। इस तरह से आईएमएफ ने इसमें 0.6 प्रतिशत की भारी कटौती की है।
जारी ताजा अनुमानों में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मंगलवार को 2022 के लिए भारत के आर्थिक विकास के अनुमान को घटाकर 6.8% कर दिया। यह अपने पिछले पूर्वानुमान 7.4% की तुलना में भारी कटौती है, जो उसने जुलाई में दिया था। आईएमएफ ने जारी अपनी नवीनतम वार्षिक विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट में कहा है कि दूसरी तिमाही में उम्मीद से कमजोर परिणाम और बाहरी मांग में कमी के स्पष्ट संकेत हैं। फंड ने अगले वर्ष 2023 के लिए, भारत के 6.1% की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है। पिछले हफ्ते, विश्व बैंक ने भी वित्त वर्ष 2022-23 के लिए भारत के विकास के अनुमान को घटाकर 6.5% कर दिया था, जो इसके पिछले जून 2022 के अनुमान से 1% कम है।
वैश्विक स्तर पर चुनौतियां

अपने ताजा अनुमान में वैश्विक वित्तीय संस्थान की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में कहा गया है कि, “सबसे बुरा वक्त अभी आना बाकी है। साल 2023 भारी मंदी की तरह महसूस होगा।” इस तरह से अनुमानों को नकारात्मक रूस से संशोधित करते हुए आईएमएफ ने जुलाई में अपेक्षित दर से 2023 के लिए वैश्विक विकास दर में संशोधन कर गिरावट को दिखाया है। अनुमान में अगले ग्लोबल स्तर पर मात्र 2.7 फीसदी दर की वृद्धि की उम्मीद की गई है। यह पिछले साल की 6 प्रतिशत की वृद्धि और इस वर्ष के 3.2 प्रतिशत की वृद्धि के पूवार्नुमान से काफी कम है।
2001 के बाद सबसे कमजोर ग्रोथ अमुमान

आईएमएफ ने कहा, यह कोविड-19 महामारी और वैश्विक वित्तीय संकट के तीव्र गिरावट के चरण को छोड़कर, 2001 के बाद से ‘सबसे कमजोर ग्रोथ प्रोफाइल’ है। यह सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए ‘महत्वपूर्ण मंदी’ को दर्शाता है, क्योंकि अमरीका का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2022 की पहली छमाही में संकुचित हुआ है, इसके बाद 2022 की दूसरी छमाही में यूरो क्षेत्र का संकुचन और चीन में लंबे समय तक कोविड-19 का प्रकोप और लॉकडाउन रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “दुनिया एक अस्थिर दौर में है : आर्थिक, भू-राजनीतिक और पारिस्थितिक परिवर्तन सभी आर्थिक ग्रोथ के वैश्विक दृष्टिकोण को प्रभावित करते हैं।” रिपोर्ट के अनुसार, विश्व अर्थव्यवस्था का लगभग एक तिहाई हिस्सा लगातार दो तिमाहियों में नकारात्मक वृद्धि का सामना कर रहा है, आईएमएफ ने भी यही भविष्यवाणी की है।

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