India Pakistan naval conflict: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव (India Pakistan naval conflict) के मद्देनज़र, दोनों देशों की नौसेनाओं ने अपनी तैयारियों को प्रदर्शित किया है। भारत ने हाल ही में "ऑपरेशन सिंदूर" के तहत अरब सागर में अपने युद्धपोतों और पनडुब्बियों की तैनाती की है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 30 मई को आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant deployment) का दौरा करते हुए पाकिस्तान को चेतावनी दी थी कि यदि भारतीय नौसेना सक्रिय होती, तो परिणाम गंभीर होते। उपायुक्त नौसेना प्रमुख, वाइस एडमिरल एएन प्रमोद ने भी पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि किसी भी आक्रामकता का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। खबर है कि पाकिस्तानी नोसेना भी युद्धाभ्यास (Pakistan Navy exercises) कर रही है।
पाकिस्तान ने भी अपनी नौसेना की तत्परता बढ़ाई है। 1 जून को, पाकिस्तानी नौसेना ने अपने प्रमुख बंदरगाहों पर विषम खतरों से निपटने के लिए दो दिवसीय अभ्यास की घोषणा की। इसके अलावा, पाकिस्तान ने 7 मई को भारतीय हमलों के जवाब में 450 किमी रेंज वाली अब्दाली बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया।
भारत के लिए चिंता का विषय यह भी है कि पाकिस्तान और चीन के बीच सैन्य सहयोग गहरा रहा है। भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने इसे "उच्च स्तर का मिलकर काम करना" बताया है, जिससे भारत को दो मोर्चों पर युद्ध की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इस बढ़ते तनाव को गंभीरता से लिया है। भारत ने पाकिस्तान के साथ जल, थल और वायु सीमाओं पर अपनी सुरक्षा तैयारियों को बढ़ाया है, जबकि पाकिस्तान ने अपनी वायु रक्षा प्रणालियों को सक्रिय किया है। दोनों देशों ने एक-दूसरे के हवाई क्षेत्र को बंद किया है, जिससे नागरिक उड़ानों पर भी असर पड़ा है।
भारतीय रक्षा विश्लेषकों ने राजनाथ सिंह के बयान को “रणनीतिक चेतावनी” करार दिया है, जो यह दिखाता है कि भारत अब केवल जमीन और हवा तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि समुद्र में भी सैन्य जवाब देने के लिए पूरी तरह सक्षम और तैयार है।
पाकिस्तानी विश्लेषकों ने इस बयान को “गंभीर उकसावे” के रूप में देखा है और कहा कि इससे क्षेत्रीय अस्थिरता और गहरी हो सकती है।
क्या चीन-पाक नौसैनिक अभ्यास भारत के खिलाफ संयुक्त मोर्चा बना रहा है?
क्या भारत अपनी नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में नई भूमिका देने की तैयारी में है?
क्या दोनों देशों के तटीय शहर, जैसे कराची और मुंबई, अब रणनीतिक निशाने बन सकते हैं?
समुद्री व्यापार पर असर: भारत और पाकिस्तान के बीच नौसैनिक तनाव से अरब सागर के माध्यम से होने वाला तेल और कंटेनर ट्रैफिक बाधित हो सकता है, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर असर पड़ेगा।
तुर्की की भूमिका: कराची में तुर्की के युद्धपोत की उपस्थिति इस बात का संकेत हो सकती है कि पाकिस्तान मध्य-पूर्वी देशों से नौसैनिक समर्थन चाहता है।
भारत की इंडो-पैसिफिक रणनीति: INS विक्रांत की तैनाती सिर्फ पाकिस्तान को नहीं, बल्कि इंडो-पैसिफिक में चीनी प्रभाव को भी संतुलित करने की दिशा में कदम माना जा रहा है।
लद्दाख से लेकर अरब सागर तक की रणनीति: अब युद्ध सिर्फ हिमालय तक सीमित नहीं रह गया, भारत की सैन्य रणनीति समुद्र तक फैल रही है।
बहरहाल हालांकि दोनों देशों ने अभी तक नौसैनिक टकराव से बचने की दिशा में कदम उठाए हैं, लेकिन उनके सैन्य अभ्यास और तैयारियां यह संकेत देती हैं कि वे भविष्य में किसी भी संभावित संघर्ष के लिए तैयार हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका इस स्थिति में महत्वपूर्ण होगी, ताकि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखी जा सके।
(एक्सक्लूसिव इनपुट क्रेडिट: सैटेलाइट इमेज डेटा WION, Jane’s Defense Weekly और ISRO आधारित वाणिज्यिक उपग्रह सेवा ।)
Updated on:
11 Jun 2025 05:36 pm
Published on:
11 Jun 2025 05:35 pm