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जापानी में बोले PM मोदी, ‘मेक इन इंडिया और मेड बाय जापान की जुगलबंदी कामयाब, दिल खोलकर करें निवेश’

Published: Nov 11, 2016 01:00:00 pm

Submitted by:

Nakul Devarshi

जापान की यात्रा पर पहुंचे मोदी ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) तथा किदानरेन (जापान बिजनेस फेडरेशन) के संयुक्त कार्यक्रम में जापानी निवेशकों को भारत में निवेश करने का आह्वान किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान की कंपनियों से भारत में निवेश बढ़ाने की अपील की है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत उनकी चिंताओं के निराकरण के लिए खुद आगे बढ़कर पहल करेगा। 

जापान की यात्रा पर पहुंचे मोदी ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) तथा किदानरेन (जापान बिजनेस फेडरेशन) द्वारा शुक्रवार को यहां संयुक्त रूप से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ”आज हर वैश्विक कंपनी के पास भारत के लिए विशेष रणनीति है और जापानी कंपनियां भी इसका अपवाद नहीं हैं। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि जापान भारत में चौथा बड़ा निवेशक है। जापानी कंपनियों का निवेश विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र, इंफ्रास्ट्रक्चर तथा बीमा, ई-कॉमर्स तथा इक्विटी, नयी तथा पुरानी परियोजनाओं सबमें है। हम जापान से और ज्यादा निवेश की उम्मीद करेंगे। इसके लिए हम आपकी चिंताओं के निराकरण के लिए स्वयं पहल करेंगे।’
उन्होंने कहा, ”जापानी औद्योगिक टाउनशिप समेत सभी प्रकार के विशेष तंत्रों को भारत और सुदृढ़ करेगा। उन्होंने जापानी नागरिकों को दी जाने वाली 10 साल वाले कारोबारी वीजा, ई-पर्यटक वीजा तथा वीजा ऑन अराइवल जैसी सुविधाओं का इस्तेमाल करने के लिए भी उन्हें प्रेरित किया।”
मोदी ने कहा, ” भारत में ‘जापान’ शब्द ही अपने आप में गुणवत्ता, उत्कृष्टता, ईमानदारी तथा सत्यनिष्ठा का प्रतीक है। जापान के लोगों ने दुनिया को टिकाऊ सतत विकास की राह दिखायी है। उनमें सामाजिक उत्तरदायित्व तथा नैतिक व्यावहारिकता का भाव भी है। हम दुनिया के अन्य देशों की विकास प्रक्रिया में जापान के योगदान से भी अवगत हैं, विशेषकर एशिया और अफ्रीका महादेश में। ”
उन्होंने कहा, ”भारत भी गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी की सच्चाई की शिक्षा से प्रेरणा लेता है। उसे अपनी लोकतांत्रिक परंपराओं, धन तथा मूल्य सृजन पर जोर, उद्यम का सु²ढ़ भाव और अपनी अर्थव्यवस्था को आधुनिक तथा समृद्ध बनाने की चाहत से उड़ान भरने के लिए पर मिले हैं। इसलिए भारत और जापान मिलकर काम करने के लिए एक दूसरे के बिल्कुल अनुकूल हैं। ”
प्रधानमंत्री ने कहा, ”मैं हमेशा कहता रहा हूं कि 21वीं सदी एशिया की सदी है। एशिया वैश्विक विकास का नया आर्थिक केंद्र बनकर उभरा है। भारत और जापान को महादेश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी जारी रखनी होगी। विशेष रणनीति तथा वैश्विक साझेदारी पर दोनों देशों की वैचारिक समानता में इतनी क्षमता है कि वह क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था तथा विकास को दिशा दे सके और वैश्विक अर्थव्यवस्था में को सुस्ती से उबार सके।” 
उन्होंने कहा, ”मजबूत भारत-मजबूत जापान से सिर्फ ये दोनों देश ही मजबूत नहीं होंगे, यहां एशिया तथा दुनिया के लिए स्थायित्व का कारण भी बनेगा।”

मोदी ने कहा, ”भारत की विकास आवश्यकताएं काफी ज्यादा हैं। हमें तेजी से सड़कें और रेल मार्ग बनाने हैं, पर्यावरण का नुकसान पहुंचाए बिना खनिजों तथा हाइड्रोकार्बन का खनन करना है, स्मार्ट तरीके से मकानों तथा नागरिक सुविधाओं का निर्माण करना है तथा हरित ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाना है। इनके अलावा विशेष मालवाहन गलियारे, औद्योगिक गलियारे, द्रुतगामी ट्रेनों, स्मार्ट शहरों, तटीय क्षेत्रों तथा मेट्रो रेल जैसी भविष्योन्मुखी परियोजनाएँ भी हैं।”
उन्होंने कहा,  ”इन सभी परियोजनाओं में जापानी कंपनियों के पास निवेश का अभूतपूर्व अवसर है। मेक इन इंडिया तथा मेड बाय जापान की जुगलबंदी पहले ही कामयाब हो चुकी है। एक जापानी कंपनी द्वारा भारत में बनाई गई कार आज जापान में बिक रही है। ”
उन्होंने कहा, ”मैं भारत में मौजूद सभी कंपनियों के प्रतिनिधियों को बधाई देता हूं और जो ऐसे अवसर की तलाश में हैं उनसे वादा करता हूं कि मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए अपनी नीतियों तथा प्रक्रियाओं में और सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
प्रधानमंत्री ने पिछले ढाई साल के दौरान जीएसटी विधेयक तथा दिवालिया कानून पारित कराने, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलने तथा विकास दर बढ़ाने जैसी उनकी सरकार द्वारा देश में किये विकास कार्यों की भी चर्चा की। 
उन्होंने कहा, ”जापानी तकनीक तथा भारतीय मानव संसाधन के योग से दोनों देश लाभ की स्थिति में रहेंगे। मैं पहले भी कह चुका हूँ कि आपके हार्डवेयर और हमारे सॉफ्टवेयर की जुगलबंदी कमाल की है। इससे दोनों देशों को फायदा होगा।”
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