स्विट्जरलैंड से देश के लिए कर रहें काम
डॉ.राजेंद्र कुमार जोशी भारतीय मूल के हैं और स्विट्जरलैंड में रहते हैं। मूल रूप से राजस्थान के सीकर के रहने वाले हैं। इन्होंने फॉर्मेसी में स्नातक की डिग्री बिट़्स पिलानी से की है। इसके बाद 1969 में रिसर्च और पीएचडी के लिए स्विट्जरलैंड चले गए। पढ़ाई पूरी होने के बाद इन्होंने वहीं पर एक फॉर्मा कंपनी खोली जिसे 2006 में बायोजेन नाम की कंपनी को बेच दिया। पत्नी उर्षुला जोशी भी फॉर्मासिस्ट हैं और ज्यूरिख में अपनी फॉर्मेसी कंपनी चलाती हैं। दोनों लोग स्विट्जरलैंड में रहकर देश के युवाओं के लिए काम करते हैं। बिहार की नालंदा यूनिवर्सिटी को छह करोड़ रुपए की राशि दी है। 2015 में न्यूरोलॉजिस्ट एंड साइक्रेट्रिक एसोसिएशन ने इन्हें गोल्डेन टैबलेट अवॉर्ड से नवाजा था। दिमाग की बीमारी मल्टीपल स्केलोरोसिस की दवा टेक्फीडेरा (बीजी-12) बनाई। 2015 को अमरीकी एजेंसी एफडीए ने इसे गोल्डेन स्टैंडर्ड दवा बताया था। भारत में कौशल विकास के तहत भारतीय स्किल डेवलपमेंट सेंटर शुरू किया। इस टे्रनिंग प्रोग्राम के तहत देश के युवाओं को अलग-अलग क्षेत्रों के लिए तैयार किया जिससे वे पैरों पर खड़े हो सकें।