गोपी थोटाकुरा समेत इस मिशन में 6 अंतरिक्ष यात्री
गोपी थोटाकुरा के अलावा इस क्रू में मेसन एंजेल, सिल्वेन चिरोन, केनेथ एल. हेस, कैरोल स्कॉलर और पूर्व वायु सेना कप्तान एड ड्वाइट शामिल थे, जिन्हें 1961 में राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी ने देश के पहले अश्वेत अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार के रूप में चुना था। इसके अलावा, न्यू शेपर्ड अब तक 37 लोगों को अंतरिक्ष में भेज चुका है, जिसमें ये दल भी शामिल रहा। इस उड़ान को लेकर न्यू शेपर्ड के उपाध्यक्ष फिल जॉयस ने कहा, “जीवन बदलने वाला अनुभव प्रदान करने का अवसर देने के लिए हमारे अंतरिक्ष यात्री ग्राहकों को बहुत-बहुत धन्यवाद।”
कौन हैं गोपी थोटाकुरा?
आंध्र प्रदेश में जन्मे गोपी थोटाकुरा महज़ 30 साल के हैं। उन्होंने हर्ट्सफील्ड-जैक्सन अटलांटा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास स्थित समग्र कल्याण और व्यावहारिक स्वास्थ्य के लिए एक वैश्विक केंद्र, प्रिजर्व लाइफ कॉर्प के को-फाउंडर हैं। कॉमर्शियल तौर पर जेट उड़ाने के अलावा, वो बुश, एरोबेटिक और सीप्लेन के साथ-साथ ग्लाइडर और गर्म हवा के गुब्बारे भी उड़ाते हैं। इसके अलावा गोपी थोटाकुरा एक अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जेट पायलट के तौर पर भी काम कर चुके हैं। वो हाल ही में तंजानिया में माउंट किलिमंजारो के शिखर पर भी गए थे। गोपी एम्ब्री-रिडल एरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी से स्नातक हैं। न्यूज एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक थोटाकुरा ने एक इंटरव्यू में बताया था कि ये मिशन धरती की रक्षा के लिए कैसे काम कर रहा है। उन्होंने आगे अंतरिक्ष पर्यटन के बारे में बात की और बताया कि यह कैसे रास्ते खोल सकता है और इसे नागरिकों के लिए किफायती और सुलभ बना सकता है।
खुशी इतनी की बयां करने के लिए शब्द नहीं
उन्होंने कहा था कि “मैं अभी अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकता क्योंकि ये कुछ ऐसा है जिसके बयान करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। जब आप पैदा होते हैं तब से लेकर जिस समय आप निकलते हैं, आप जागते हैं और आकाश देखना चाहते हैं, सांस लेना चाहते हैं लेकिन मैं इसके उलट ही ये सब करने वाला हूं।
राकेश शर्मा के बाद थोटाकुरा बने दूसरे अंतरिक्ष यात्री
बता दें कि गोपी थोटाकुरा भारत के राकेश शर्मा के बाद दूसरे अंतरिक्ष यात्री बन गए हैं। राकेश शर्मा भारतीय वायु सेना के पूर्व पायलट विंग कमांडर थे। उन्होंने 1984 में अंतरिक्ष में उड़ान भरी थी और इसके साथ वो भारत से अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बन गए थे। उनके बाद ये कमाल गोपी थोटाकुरा ने कर दिखाया है।