बारिश खत्म होने के बाद 3676 मीटर ऊंचे माउंट सेमेरू के ऊपर लावे का गुंबद ढह गया था, जिससे यह विस्फोट हुआ। इस दौरान जहरीली गैस चारों तरफ फैल गई और लावा पास की नदी के ढलान की ओर आ गया। ज्वालामुखी की गैस ने पूरे गांव में धुंए के बाद छोड़े थे, जिससे दम घोटू स्थिति पैदा कर दी।
लुमजांग जिले में स्थित मांउट सेमेरू ने रविवार को आकाश की ओर 1,500 मीटर (लगभग 5,000 फुट) से अधिक ऊंचाई तक धुएं के बादल छोड़े थे। कई गांवों के आसमान में ज्वालामुखी से लावे के साथ निकली राख के गुबार के कारण सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पा रही है, लेकिन किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
इंडोनेशिया में सोमवार को मौसम में सुधार होने के बाद बचावकर्मियों ने कुछ लोगों के जीवित बचे होने की उम्मीद में राहत और बचाव कार्य फिर से शुरू किया। यह पर्वत शिखर करीब 12 हजार साठ फीट की ऊंचाई पर है और इसके काफी करीब तक इंसानी आबादी बसी हुई है।
सोमवार को सम्बरवुलुह और सुपितुरंग के सबसे अधिक प्रभावित गांवों में सैकड़ों बचावकर्मियों को तैनात किया गया। यहां कई घर और मस्जिदें ज्वालामुखी की टनों राख के नीचे दबी हुई थीं। वहीं लावे ने एक पुल को क्षतिग्रस्त कर दिया है। इस पुल को पिछले साल ज्वालामुखी विस्फोट में नष्ट होने के बाद फिर से बनाया गया था।
बता दें, ज्वालामुखी से धुंआ निकलने के बाद ही आपदा राहत केंद्र ने तुरंत चेतावनी संकेत जारी कर दिया था। आस पास के आठ किलोमीटर के इलाके को खतरनाक क्षेत्र घोषित कर दिया गया है। राख निकलने की वजह से आस-पास के कई गांवों को खाली कराया गया था। वहीं इसके धूंए से बचने के लिए प्रशासन ने मास्क भी बांटे थे।
राख निकलने की वजह से आस पास के कई गांवों में यह राख फैल गयी है। बता दें, ज्वालामुखी की राख रासायनिक कारणों से जहां गिरती है वहां चिपक जाती है। इससे कई गांव और वहां के घर इसकी चपेट में आ गये हैं। आपको बता दें, इस ज्वालामुखी में पिछल दिसंबर यानी साल 2021 के दिसंबर में भी विस्फोट हुआ था। उस दौरान इसके अचानक विस्फोट की चपेट में आने वाले 51 लोग मारे गये थे।