1300 फुट लंबे कंटेनर शिप एवर गिवेन के फंसने से करीब 321 जहाज स्वेज नहर के दोनों किनारों पर जमा हो गए हैं। कई जहाजों पर तो पशु लदे हैं और उन्हें अगर तय समय पर नहीं निकाला गया तो उनकी मौत हो सकती है। इस बीच स्वेज नहर प्राधिकरण के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल ओसामा राबेई के बयान के बाद जहाज पर मौजूद भारतीय चालक दल पर सवाल उठने लगे है। ओसामा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जांच चल रही है लेकिन मानवीय या तकनीकी खामी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
स्वेज नहर पर मिस्र का नियंत्रण है। 1869 में इस मार्ग के खुलने से पहले पूरे अफ्रीका का चक्कर लगाना पड़ता था। अब दुनिया का 12त्न व्यापार इसी मार्ग से होता है। 1956 में इजराइल, ब्रिटेन और फ्रांस ने जलमार्ग पर नियंत्रण करने के लिए मिस्र पर आक्रमण किया। बाद में इन देशों की सेनाएं हट गईं और नहर पर मिस्र का अधिकार बना रहा। 2015 में मिस्र ने नहर के नवीनीकरण का काम शुरू किया।
स्वेज का निर्माण ही व्यापार को ध्यान में रखकर किया गया था। शनिवार तक इस मार्ग से जाने वाले 321 जहाज फंसे हुए थे। इनमें तेल, प्राकृतिक गैस, खाद्य पदार्थ आदि हैं। शिपिंग जर्नल लॉयड का अनुमान है कि नहर बंद होने से वैश्विक व्यापार को प्रतिदिन 9 अरब डॉलर का नुकसान होगा। जहाज के जापानी मालिक सोई किशेन कैशा ने इस घटना के लिए प्रभावित पक्षों से माफी मांगी है।
तिरछे फंसे जहाज का अग्रभाग छिछले पानी में है, जिसे मशीनों से निकाला जा रहा है। इसके लिए नीदरलैंड से कुछ विशेषज्ञ भी बुलाए गए हैं। शनिवार को अमरीकी नौसेना के विशेषज्ञ और मशीनें भी इसे निकालने में जुट गए। जहाज को निकालने वाली कंपनी कोस्कालिस के सीईओ पीटर बर्डोस्की का कहना है कि इस काम में कुछ हफ्ते भी लग सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले जहाज से कुछ कार्गो को हटाया जाएगा।
संकरा मार्ग होने के कारण हादसों से बचने के लिए जहाज को एक-एक कर पार करवाया जाता है। मंगलवार को रेतीले बवंडर के कारण जहाज एवर गिवन से नियंत्रण हट गया और नहर में तिरछा फंस गया। लंबाई में यह एफिल टावर से भी बड़ा है, लिहाजा नहर ब्लॉक हो गई। इससे पहले 2017 में तकनीकी कारणों से एक जापानी जहाज यहां फंस गया था।