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इजरायली फर्म ने कहा कि भारत ने 50 करोड़ डॉलर का डिफेंस डील रद्द दिया

locationनई दिल्लीPublished: Jan 03, 2018 07:45:49 pm

Submitted by:

Mazkoor

भारत ने स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों को विकसित करने के लिए 50 करोड़ डॉलर के सौदे को रद्द कर दिया है।

rafael
जेरूसलेम : एक शीर्ष इजराइली हथियार फर्म ने पुष्टि की कि भारत ने स्पाइक एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों को विकसित करने के लिए 50 करोड़ डॉलर के सौदे को रद्द कर दिया है। उसने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की भारत की पहली यात्रा के ठीक पहले इस निर्णय पर अफसोस जाहिर किया गया।
राइफेल एडवान्स डिफेंस सिस्टम्स लिमिटेड के एक प्रवक्ता ईशाई डेविड ने यह जानकारी दी कि राफेल को अब भारत की रक्षा मंत्रालय से स्पाइक डील रद्द करने के बारे में एक आधिकारिक सूचना मिली है कि वे स्पाइक की डील कैंसिल कर रहे हैं। स्पाइक का इस्तेमाल दुनिया के २६ में किया जाता है। माना जाता है कि एक लंबी और कठोर प्रक्रिया और तमाम रक्षा नियमों के पालन के बाद भारत ने इसेे चयनित किया गया था।
कंपनी ने अपने वक्तव्व्य में इस पर जोर दिया अनुबंध पर हस्ताक्षर करने से पहले इसे रद्द कर दिया गया, जबकि राफेल द्वारा सभी मांगों का अनुपालन किया गया था। कंपननी ने कहा कि राफेल के अनुबंध को रद्द करने फैसले का उनहें अफसोस है। इसके बावजूद वह भारतीय रक्षा मंत्रालय के साथ सहयोग और काम करने के प्रति अडिग है। इसकी वजह यह है कि वह पिछले दो दशकों से यह भारत को सबसे बेहतर और आधुनिक सिस्टम उपलब्ध कराता रहा है। हालांकि कंपनी की तरफ से सौदा रद्द होने के पीछे की कोई वजह का खुलासा नहीं किया गया है।
मालूम हो कि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू 14 जनवरी को भारत दौरे पर आ रह हैं और यह आशंका जताई जा रही है कि वह भारत के सामने इस मुद्दे को रख सकते हैं। यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि इस दौरे में उनके साथ राफेल के सीईओ भी रहेंगे।
कंपनी ने हाल ही में हैदराबाद में अपनी एक सेवा की शुरुआत की थी, जहां प्रोजेक्ट पर काम पूरा किया जाना था। कंपनी के सूत्रों का कहना है कि इस सेवा को भारतीय साझीदारों के साथ अन्य राफेल प्रॉजेक्ट्स के लिए तैयार किया गया है। मूल प्रस्ताव के मुताबिक, भारत ने सेना के लिए 50 करोड़ डॉलर की कीमत के एटीजीएम खरीदने की योजना बनाई थी।
मालूम हो कि रक्षा मंत्रालय घरेलू रक्षा उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए अपनी व्यापक नीतिगत पहल के हिस्से के रूप में विदेशी रक्षा प्रमुखों के विभिन्न हथियारों और अन्य प्लेटफार्मों की खरीद में प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए जोर दे रहा है।
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