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ये हमारा वादा है, ताइवान पर चीनी हमले का अमरीका देगा सैन्य जवाब: US President Joe Biden

locationजयपुरPublished: May 23, 2022 04:05:04 pm

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Swatantra Jain

क्वाड सम्मेलन में भाग लेने जापान पहुंचे अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडेन चीन को खरी-खरी सुनाई हैं। बलपूर्वक ताइवान को चीन का भाग बनाने के लिए आमदा चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग को चेतावनी देते हुए अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि अगर चीन ताइवान को बल पूर्वक हथियाने की कोशिश करेगा तो अमेरिका चुप नहीं रहेगा और इसका सैन्य जवाब दिया जाएगा। पहली बार अमरीका की ओर से ताइवान पर इस तरह का खुली प्रतिबद्धता दिखाया जाना सीधे-सीधे चीन को चेतावनी माना जा रहा है।

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क्वाड शिखर सम्मेलन में जापान पहुंचे अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोमवार को टोक्यो में कहा कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो उनका देश सैन्य जवाब देगा। मीडिया से बात करते हुए टोक्यो में एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए, बाइडेन ने कहा, ‘यह हमारी प्रतिबद्धता है’। इससे पहले अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने टोक्यो में सोमवार, 23 मई, 2022 को अकासा पैलेस में एक द्विपक्षीय बैठक के दौरान जापानी पीएम फुमियो किशिदा से बात की।
इसके बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में बाइडेन ने कहा कि चीन द्वारा ताइवान के खिलाफ बल प्रयोग करने का प्रयास ‘उचित नहीं होगा’, बाइडेन ने कहा इस तरह का कदम यह पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर देगा और यूक्रेन में हुई कार्रवाई के समान एक और कार्रवाई होगी।
वन चाइना नीति में बदलाव नहीं, पर ताइवान के साथ

बता दें, ‘वन चाइना’ नीति के तहत, अमरीका बीजिंग को चीन की सरकार के रूप में मान्यता देता है और ताइवान के साथ उसके राजनयिक संबंध नहीं हैं। हालाँकि, यह ताइवान के साथ अनौपचारिक संपर्क बनाए रखता है, जिसमें राजधानी ताइपे में एक वास्तविक दूतावास भी शामिल है। साथ ही अमरीक इस द्वीप की रक्षा के लिए सैन्य उपकरणों की आपूर्ति भी करता है।
बाइडेन की इस टिप्पणी को पिछले दशकों में ताइवान के समर्थन में सबसे सशक्त और खुले बयानों में से एक के रूप में देखा जा रहा है। विशेष रूप से, जबकि चीन ने शायद यह सोच बना ली है कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की पृष्ठभूमि में ताइवान में संघर्ष पर दुनिया कैसी प्रतिक्रिया दे सकती है।
ताइवन पर अमरीका की सबसे बड़ी और मुखर प्रतिबद्धता

अब तक अमरीका ने परंपरागत रूप से ताइवान को ऐसी स्पष्ट सुरक्षा गारंटी देने से परहेज किया है, जिसके साथ अब तक उसकी कोई पारस्परिक रक्षा संधि नहीं है। बता दें 1979 ताइवान संबंध अधिनियम में चीन द्वारा आक्रमण करने पर ताइवान की रक्षा के लिए अमरीका को सैन्य कदम उठाने की आवश्यकता नहीं है। अब तक इसी अधिनियम के अंतर्गत अमरीकी ताइवान द्वीप के साथ अमरीकी संबंधों को आकार देता आया है, लेकिन इसके अंतर्गत यह सुनिश्चित करने के लिए अमरीकी नीति बनाता रहा है कि ताइवान के पास खुद की रक्षा करने और किसी भी एकतरफा कार्रवाई को रोकने के लिए संसाधन हों। या फिर बीजिंग द्वारा ताइवान की स्थिति में परिवर्तन की कोशिश की जाए।
चीन मानता है ताइवान को दुष्ट प्रांत

बाइडेन की इन टिप्पणियों पर चीनी मुख्यभूमि से तीखी प्रतिक्रिया मिलने की संभावना है, जिसने ताइवान के एक दुष्ट प्रांत होने का दावा किया है। हालांकि व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने कहा कि बाइडेन की टिप्पणी किसी नीतिगत बदलाव को नहीं दर्शाती है। बता दें, चीन ने हाल के वर्षों में लोकतांत्रिक ताइवान के खिलाफ अपने सैन्य उकसावे को तेज कर दिया है, जिसका उद्देश्य उसे कम्युनिस्ट मुख्य भूमि के साथ एकीकृत होने की बीजिंग की मांगों को स्वीकार करने के लिए धमकाना है। बाइडेन ने चीन के बारे में कहा, “वे पहले से ही इतने करीब से उड़ान भरकर और हर प्रकार से युद्धाभ्यास करके खतरे से खेल रहे हैं।”
बाइडेन ने कहा कि यह उनकी ‘उम्मीद’ है कि चीन ताइवान को बलपूर्वक जब्त करने की कोशिश नहीं करेगा, लेकिन उन्होंने कहा कि लेकिन उसका मूल्यांकन “इस बात पर निर्भर करेगा है कि उसे शेष वैश्विक समुदाय से कितनी मजबूती से इस तरह की कार्रवाई के परिणामस्वरूप दीर्घकालिक अस्वीकृति का सामना करना होगा।”
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