इटली में परिवार वुहान की बजाय ज्यादा बड़े और सघन अपार्टमेंट में रहते हैं। विश्लेषण में सामने आया है कि संक्रमितों को अलग कमरे में आइसोलेट करने के बावजूद पूरा का पूरा परिवार उसकी चपेट में आ गया। शुरुआत में वुहान में चीन सरकार ने भी यही किया, लेकिन बाद में उसने इन्हें अस्पताल में भर्ती करना शुरू कर दिया।
इटली में कोरोना से मरने वालों की अमरीका के बाद सबसे अधिक है, हालांकि अब संक्रमण के मामले कम होने लगे हैं। जैसा सामने आया है कि वायरस बच्चों और बूढ़ों में अधिक प्रभाव छोड़ता है। चूंकि इटली में अधिक उम्र के लोग ज्यादा हैं, लिहाजा पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें घर पर आइसोलेट तो कर दिया, लेकिन बिना देखभाल दम तोड़ दिया।
जियो निंग ने इटली की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की तारीफ करते हुए कहा कि सुरक्षात्मक उपायों की कमी से ये हालात पैदा हुए। देश को बंद करने और लोगों को घरों में रोकने के प्रयास बहुत हल्के थे। 22 मार्च से सडक़ों पर पुलिस ने मुस्तैदी दिखाई तो हालात सुधरने लगे।
अमरीका से लेकर स्पेन तक पश्चिमी देशों के लिए यह कौतूहल है कि जांच किटों की कर्मी, चिकित्सा आपूर्ति की कमी और मरीजों की बढ़ती संख्या के बावजूद वुहान ने नियंत्रण कैसे पाया। जबकि इटली में डॉक्टर ही संक्रमित हो रहे हैं। स्पेन जैसे देश वेंटीलेटर की कमी से जूझ रहे स्पेन को संक्रमितों का जीवन बचाने के लिए चुनना पड़ा। लेकिन अब पूरी दुनिया में वैज्ञानिक वायरस का तोड़ निकालने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, जो अच्छा संकेत है।