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कैमरन के हवाले फिर ‘किंगडम’, 10 भारतवंशी भी जीते

Published: May 09, 2015 04:39:00 am

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 ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की कंजरवेटिव पार्टी ने सभी अटकलों
और भविष्यवाणियों को धता बताते हुए 650 सदस्यीय हाउस ऑफ कॉमंस में सामान्य
बहुमत हासिल कर लिया है। पार्टी को गुरुवार को हुए मतदान में 331 सीटों पर
जीत हासिल हुई है।

 ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की कंजरवेटिव पार्टी ने सभी अटकलों और भविष्यवाणियों को धता बताते हुए 650 सदस्यीय हाउस ऑफ कॉमंस में सामान्य बहुमत हासिल कर लिया है। पार्टी को गुरुवार को हुए मतदान में 331 सीटों पर जीत हासिल हुई है।

एड मिलिबैंड की लेबर पार्टी को 232 सीटों पर जीत मिली है, जबकि स्कॉटिश नेशनल पार्टी (एसएनपी) को 56 और डेमोक्रेटिक युनियनिस्ट पार्टी तथा लिबरल डेमोके्रट्स को आठ-आठ सीटें मिली हैं। हाउस ऑफ कॉमंस में भारतवंशी सदस्यों की संख्या इस बार भी 10 बरकरार है।

कैमरन ने कहा कि चुनाव के नतीजों से ऐसा लग रहा है कि कंजरवेटिव पार्टी मजबूत स्थिति में है और पार्टी को इसके सकारात्मक प्रचार की बेहतर प्रतिक्रिया मिली है। उन्होंने कहा कि कंजरवेटिव ने अपने घोषणापत्र में कामकाजी लोगों को भी स्थान दिया था और उन्हें उम्मीद है कि वह अपने वादे पूरे कर पाएंगे।

बकिंघम पैलेस का दौरा करने के बाद 10 डॉउनिंग स्ट्रीट के बाहर कैमरन ने कहा कि वह अखंड राष्ट्र के लिए सरकार का नेतृत्व करेंगे और ग्रेट ब्रिटेन को और महान बनाएंगे।

एसएनपी ने 59 में से 56 सीटों पर जीत दर्ज की, जो उसकी अब तक की सबसे बड़ी चुनावी जीत है। इससे पहले अक्टूबर 1974 में इसने 11 सीटें और 2010 में छह सीटें जीती थीं। एसएनपी की तीन सीटें कंजरवेटिव, लेबर और लिब-डेम्स के खाते में चली गईं।

ग्लास्गो में मतगणना के दौरान एमिरैट्स स्टेडियम में मौजूद एसएनपी की नेता निकोला स्ट्रजियन ने बताया कि लेबर ने स्कॉटलैंड में लोगों का भरोसा खो दिया है।

लेबर को 1987 के बाद से अबतक की सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। इसे स्कॉटलैंड की 41 में से 40 सीटें गंवानी पड़ीं। मिलिबैंड ने सांसदों के हारने पर माफी मांगी और कहा कि पार्टी के लिए यह बहुत निराशाजनक और कठिन रात है।

उन्होंने कहा कि यह साफ है कि लेबर पार्टी के लिए यह बेहद निराशाजनक और कठिन रात है, इंगलैंड और वेल्स में जिस तरह की जीत हम चाहते थे, वैसा नहीं हो पाया तथा स्कॉटलैंड में हमने राष्ट्रवाद की लहर देखी है, जिससे हमारी पार्टी अभिभूत है।

लिबरल डेमोक्रेट्स (लिब-डेम्स) के निक क्लेग ने पार्टी के खराब प्रदर्शन के कारण पार्टी के नेता पद से इस्तीफा दे दिया। सदन में इस पार्टी के सदस्यों की संख्या 57 से आठ पर पहुंच गई है। 2010 से ब्रिटेन के उप प्रधानमंत्री रहे क्लेग 2007 से लिब-डेम्स के नेता हैं और शेफील्ड हैलम क्षेत्र से 2005 से सांसद हैं।

ऊर्जा मंत्री एड डेव, व्यापार मंत्री विंस केबल और कोषागार मंत्री डैनी अलेक्जेंडर को भी अपनी सीट गंवानी पड़ी। क्लेग ने कहा कि उन्हें जैसा डर था, नतीजे उससे भी ज्यादा बुरे रहे हैं, लेकिन अपनी पार्टी का नेतृत्व करना उनके लिए सम्मान की बात रही है।

यूके इंडिपेंडेंस पार्टी (यूकेआईपी) के नेता निजेल फराज ने भी थानेट दक्षिण सीट से हार मिलने और उनकी पार्टी को सिर्फ एक सीट मिलने पर पद से इस्तीफा दे दिया।

भारतवंशी सदस्यों की संख्या गुरुवार को हुए चुनाव में भी 10 तक ही सिमटी रही। पिछली बार जीत दर्ज कर हाउस ऑफ कामंस पहुंचे 10 भारतवंशी सांसदों में से एक को हार का मुंह देखना पड़ा।

वुल्वरथैम्पटन दक्षिण-पश्चिम से कंजरवेटिव पार्टी के भारतवंशी सांसद पॉल उप्पल लेबर पार्टी के उम्मीदवार रॉब मैरिस से चुनाव हार गए हैं।

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