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BEIRUT : जानिए बेरूत धमाके की असल वजह, जॉर्जिया से कैसे पहुंचा अमोनियम नाइट्रेट

Published: Aug 11, 2020 06:50:39 pm

-160 लोगों की मौत और करीब 6 हजार जख्मी हुए बेरूत धमाके में (160 people killed and about 6 thousand injured in Beirut blast)-10 से 15 अरब डॉलर का नुकसान हुआ लेबनान को (10 to 15 billion dollars lost to Lebanon)-डेढ़ दशक से आर्थिक तंगी और अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है लेबनान (Lebanon is going through a period of economic crisis and instability for 15 years)

BEIRUT : जानिए बेरूत धमाके की असल वजह, जॉर्जिया से कैसे पहुंचा अमोनियम नाइट्रेट

धमाके के बाद बेरूत

बेरूत. पिछले डेढ़ दशक से राजनीतिक उथल-पुथल, गृहयुद्ध और आर्थिक तंगी से जूझ रहे लेबनान को राजधानी बेरूत में धमाके ने बड़े जख्म दे दिए। दरअसल ये भीषण विस्फोट सात वर्ष की लापरवाही का नतीजा है। वर्ष 2013 में एक रूसी कार्गो जहाज एमवी रोसस जॉर्जिया के बटूमी से 2750 मीट्रिक टन अमोनियम नाइट्रेट लेकर मोजांबिक के लिए निकला था। जहाज के कप्तान बोरिस प्रोकोशेव थे। जहाज जब ग्रीस में ईंधन भरवाने के लिए रुका तो पैसे खत्म होने की बात कहकर जहाज के रूसी मालिक ने कर्मचारियों से अतिरिक्त कार्गो लोड करवाने को कहा।
इसके लिए जहाज को बेरूत का चक्कर लगाना पड़ा, जहां बेरूत सरकार ने नियमों की अनदेखी का हवाला देकर जहाज को कब्जे में ले लिया। कानूनी विवाद खिंचने के कारण इसे बेरूत में ही छोड़ दिया गया। 2014 में जहाज से अमोनियम नाइट्रेट के कंटेनर उतारकर पोर्ट के गोदाम में रखवा दिया। तब से ये कंटेनर वहीं पड़े थे। लेबनानी सीमा शुल्क निदेशक बद्री डाहर की चेतावनी को भी सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया।
पहले ही गरीबी, अस्थिरता और बेरोजगारी से त्रस्त
वर्ष 2005 में लेबनान के प्रधानमंत्री रफीक हरीरी की हत्या के बाद देश में विरोध प्रदर्शन और दंगे शुरू हो गए। 2009 में हरीरी के बेटे साद हरीरी पीएम बने। 2011 में शिया विद्रोही गुट हिजबुल्ला ने सरकार गिरा दी। वर्ष 2016 में दोबारा प्रधानमंत्री बने, लेकिन देश की बिगड़ती आर्थिक हालत और गिरती मुद्रा के कारण सितंबर 2019 में सैकड़ों लोग बेरूत की सडक़ों पर उतरे और डेढ़ महीने तक हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद उन्हें पिछले वर्ष पद छोडऩा पड़ा। 2006-08 में हिजबुल्लाह और इजराइली सैनिकों के बीच युद्ध में हजारों नागरिक मारे गए। लेबनान पर 92 अरब डॉलर का कर्ज है जो कि उसकी जीडीपी के 170 फीसदी के आसपास है। देश की आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जी रही है और करीब 35 फीसदी लोग बेरोजगार हैं।
चेन्नई में भी 740 टन अमोनियम नाइट्रेट बन सकता है खतरा
बेरूत विस्फोट के बाद चेन्नई के बाहरी इलाके में रखे 740 टन अमोनियम नाइट्रेट ने चिंता बढ़ा दी है। हालांकि यह जगह शहर से 20 किमी दूर है, लेकिन दो किलोमीटर की दूरी में 12 हजार की आबादी इसकी जद में है। जो कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकता है। जानकारी के मुताबिक इसे 2015 में जब्त किया गया था, जब शिवकाशी की पटाखा फैक्ट्री के लिए अवैध रूप से लाया गया था। इसकी कीमत करीब 1.80 करोड़ है। सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों का कहना है कि निर्यातकों ने इसके खाद में इस्तेमाल की बात कही थी, लेकिन जांच में यह विस्फोटक पाया गया। ये अमोनियम नाइट्रेट 37 कंटेनरों में रखा गया है, हर कंटेनर में 20 टन केमिकल है।

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