वर्ष 2005 में लेबनान के प्रधानमंत्री रफीक हरीरी की हत्या के बाद देश में विरोध प्रदर्शन और दंगे शुरू हो गए। 2009 में हरीरी के बेटे साद हरीरी पीएम बने। 2011 में शिया विद्रोही गुट हिजबुल्ला ने सरकार गिरा दी। वर्ष 2016 में दोबारा प्रधानमंत्री बने, लेकिन देश की बिगड़ती आर्थिक हालत और गिरती मुद्रा के कारण सितंबर 2019 में सैकड़ों लोग बेरूत की सडक़ों पर उतरे और डेढ़ महीने तक हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद उन्हें पिछले वर्ष पद छोडऩा पड़ा। 2006-08 में हिजबुल्लाह और इजराइली सैनिकों के बीच युद्ध में हजारों नागरिक मारे गए। लेबनान पर 92 अरब डॉलर का कर्ज है जो कि उसकी जीडीपी के 170 फीसदी के आसपास है। देश की आधी आबादी गरीबी रेखा के नीचे जी रही है और करीब 35 फीसदी लोग बेरोजगार हैं।
बेरूत विस्फोट के बाद चेन्नई के बाहरी इलाके में रखे 740 टन अमोनियम नाइट्रेट ने चिंता बढ़ा दी है। हालांकि यह जगह शहर से 20 किमी दूर है, लेकिन दो किलोमीटर की दूरी में 12 हजार की आबादी इसकी जद में है। जो कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकता है। जानकारी के मुताबिक इसे 2015 में जब्त किया गया था, जब शिवकाशी की पटाखा फैक्ट्री के लिए अवैध रूप से लाया गया था। इसकी कीमत करीब 1.80 करोड़ है। सीमा शुल्क विभाग के अधिकारियों का कहना है कि निर्यातकों ने इसके खाद में इस्तेमाल की बात कही थी, लेकिन जांच में यह विस्फोटक पाया गया। ये अमोनियम नाइट्रेट 37 कंटेनरों में रखा गया है, हर कंटेनर में 20 टन केमिकल है।