बताते चले कि श्रीलंबा बीते कई माह से आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इसको लेकर देशभर में सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं। सोमवार को प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे के इस्तीफा देने से कुछ घंटों पहले उनके समर्थकों ने राष्ट्रपति भवन के बाहर प्रदर्शनकारियों पर हमला किया था, जिसमें 78 लोगों के घायल होने की जानकारी सामने आई थी। इस हमले के कुछ ही घंटों बाद राजपक्षे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने महिंद्रा राजपक्षे के इस्तीफे की पुष्टि की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार 76 वर्षीय महिंद्रा राजपक्षे इस्तीफा न देने के लिए अपने समर्थकों को एकजुट कर रहे थे। लेकिन उन्हें इस प्रयास में सफलता नहीं मिली। महिंद्रा राजपक्षे को रविवार को अपने शहर अनुराधापुर में भी जनता के आक्रोश का सामना करना पड़ा था। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि राजपक्षे परिवार राजनीति छोड़ दें। साथ ही देश की जो संपत्ति चुराई है, उसे वापस कर दें।
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आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने आपातकाल का ऐलान किया था। लेकिन इमरजेंसी लगाए जाने के बाद भी हालात नहीं सुधरे। अब जबकि महिंद्रा राजपक्षे ने इस्तीफा दे दिया है कि उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही श्रीलंका में अंतरिम सरकार के गठन का रास्ता साफ हो। विपक्षी पार्टियों के साथ-साथ महिंद्रा राजपक्षे की पार्टी के भी कई लोग उनके इस्तीफे की मांग कर रहे थे।
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उल्लेखनीय हो कि श्रीलंका की आर्थिक हैसियत इतनी खराब हो गई है कि वो दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है। इस कारण श्रीलंका ने अपने विदेशी कर्ज की अदायगी स्थगित कर दी है। श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार घट कर एक अरब डॉलर से भी कम रह गया है। महंगाई के कारण मूलभूत सुविधाओं के लिए भी लोगों को मशक्कत करनी पड़ रही थी। जिसके बाद श्रीलंका में लोगों का विरोध-प्रदर्शन शुरू हुआ था।