इसके बाद इन आतंकवादियों ने इजरायल के 11 खिलाड़ियों को बंधक बना लिया और ये खबर पूरी दुनिया में आग की तरह फैल गई। इन आतंकवादियों ने भागने की कोशिश कर रहे दो खिलाड़ियों को निशाना बना चुके थे जिसके बाद उनके पास 9 खिलाड़ी बंधक में थे। इसके बाद इन आतंकियों ने इजरायल के समक्ष वहाँ की जेलों में बंद 234 फिलिस्तीनियों की रिहाई की मांग की। इजरायल ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। इसके बाद दबाव बनाने के के लिए आतंकवादियों ने पहले ही दो खिलाड़ियों को मार चुके आतंकियों ने उनके शव को बिल्डिंग से नीचे फेंक दिया। आतंकियों ने धमकी दी कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो वो और लाशें गिराएंगे। इजरायल की तत्कालीन प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर ने इसके बाद भी घुटने नहीं टेके।
उस समय जर्मनी ने इजरायल द्वार हालात से निपटने के लिए स्पेशल फोर्स भेजने की मांग को ठुकरा दिया था। जर्मनी ने आतंकियों को मुंह मांगी रकम देने का ऑफर भी दिया था जिसे आतंकियों ने स्वीकार नहीं किया। जर्मनी ने आतंकवादियों की दूसरी शर्त मान ली और बंधकों को कायरो ले जाने के लिए उन्हें बस मुहैया करा दी और एक आतंकियों को ठिकाने लगाने के लिए एक बैकअप प्लान भी तैयार कर लिया। ये आतंकी इजरायली खिलाड़ियों को लेकर फर्स्टेनफेल्डब्रक के नाटो एयरबेस पर पहुंचे।
अमरीका : वर्जीनिया में रातभर हुई गोलीबारी, 2 की मौत, 5 घायल
इसके बाद इजरायल ने बदले की योजना बनाई और फिर शुरू हुआ ऑपरेशन स्प्रिंग ऑफ यूथ और ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड। Wratch Of God को दुनिया में Operation Bayonet के नाम से भी जाना जाता है। मोसाद ने योजना के तहत अगले 20 सालों तक म्यूनिख हमले से जुड़े आतंकियों को चुन-चुन कर मारना शुरू कर दिया।
-16 अक्टूबर 1972 को रोम में रह रहे फिलिस्तीनी ट्रांसलेटर अब्दुल वाइल जैतर को मोसाद ने मारकर पहली कामयाबी हासिल की।
– 8 दिसंबर, 1972 को फ्रांस में फिलिस्तीन लिब्रेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) के प्रतिनिधि डॉ. महमूद हमशरी को योजना के तहत बम से उड़ा दिया गया जो एक महीने तक अस्पताल में जिंदगी की लड़ाई लड़ता रहा और फिर दम तोड़ दिया।
-इसके बाद मोसाद के एजेन्ट्स ने कुछ ही महीनों में बासिल अल कुबैसी, हुसैन अब्दुल चिर, जैद मुकासी और मोहम्मद बौदिया को मार गिराया।
-9 अप्रैल, 1973 को पॉप्युलर फ्रंट फॉर लिब्रेशन ऑफ फिलिस्तीन (PFLP) के हेडक्वार्टर पर हमला कर इजरायली कमांडोज ने मोहम्मद यूसुफ अल नज्जर, कमल अदवान और कमल नासिर को मार गिराया।
– 21 जुलाई, 1973 को एक योजना में हमले का मास्टरमाइंड अली हसन सलामे नॉर्वे बचकर निकल गया और एक निर्दोष वेटर हमले का शिकार गया जिसके बाद ऑपरेशन Wrath Of God को कुछ समय के लिए रोक दिया गया।
-पाँच साल बाद Wrath Of God को फिर शुरू किया गया और 22 जनवरी, 1979 को म्यूनिख के मास्टरमाइंड अली हसन सलामे को विस्फोटक से उड़ा दिया गया। इसके बाद भी कुछ सालों तक ये ऑपरेशन जारी रहा।