… क्योंकि मंगल पर पंचर नहीं बना सकते : ्दरअसल, सडक़ पर वाहन चलाते समय ड्राइवर गाड़ी का टायर पंचर होने के बाद उसे खुद बदल लेते हैं या किसी पंचर बनाने वाले के पास तक गाड़ी को टो करवाकर ले जाते हैं, लेकिन मंगल ग्रह पर अंतरिक्ष यात्री ये दोनों ही कार्य नहीं कर सकते हैं। यदि वहां रोवर के टायर में कोई खराबी आ जाए तो उसे सही नहीं किया जा सकता है और ये स्थिति खतरनाक साबित हो सकती है। बता दें कि अभी तक मिले वैज्ञानिक पूर्वानुमान के आधार पर मंगल ग्रह की जमीन काफी पथरीली है। जिससे पंचर होने और टायर फटने की समस्या शोध-अनुसंधान में दिक्कत पैदा कर सकती है।
निकल-टाइटेनियम मिश्र धातु से बनाया : ग्लेन रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने इन टायरों में रबड़ और ट्यूब का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने निकल-टाइटेनियम मिश्र धातु से मेटल स्प्रिंग टायर का निर्माण किया है। यह दिखने में लोहे से बुना जाल वाले टायर जैसा लगता है। जब यह टायर एक ऊंची चट्टान अथवा पत्थर पर चलता है, तो वह अपने आकार में स्वत: परिवर्तन कर लेता है। वहीं जब समतल जमीन पर चलता है तो मूल रूप में वापस जाता है। इसी कारण नुकीली चट्टानों और पथरीली जमीन पर भी यह टायर सबसे सुरक्षित साबित होंगे।