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NUCLEAR WEAPONS : हिरोशिमा नागासाकी से नहीं लिया सबक, बढ़ा रहे परमाणु जखीरा

Published: Aug 06, 2020 05:23:23 pm

Submitted by:

pushpesh

-दुनिया के पहले आणविक हमले को 75 वर्ष हो गए हैं। हिरोशिमा पर ‘लिटिल बॉय’ और नागासाकी पर ‘फैटमैन’ बम कहर बनकर गिरे थे। इसके बाद परमाणु अप्रसार संधि (NPT) पर 187 देशों ने हस्ताक्षर किए, लेकिन 50 वर्ष बाद भी इसकी पालना नहीं हुई। कई देश परमाणु ऊर्जा की आड़ में जखीरे को बढ़ाते रहे।

NUCLEAR WEAPONS : हिरोशिमा नागासाकी से नहीं लिया सबक, बढ़ा रहे परमाणु हथियार

NUCLEAR WEAPONS

न्यूयॉर्क. पिछले दिनों स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने बताया कि परमाणु हथियारों के वैश्विक भंडार में पिछले वर्ष के मुकाबले थोड़ी कमी आई है। ये महज इसलिए कि विश्व के 90 फीसदी परमाणु हथियार रखने वाले रूस और अमरीका ने अपने कुछ पुराने और अवधिपार परमाणु जखीरे को नष्ट किया है। सच तो यह है कि सभी परमाणु संपन्न राष्ट्र अपने हथियारों और वितरण प्रणाली को और आधुनिक बना रहे हैं।
NUCLEAR WEAPONS : किस देश के पास कितने परमाणु हथियार

पिछले महीने फ्रांस ने पनडुब्बी से परमाणु मिसाइल का परीक्षण किया, जो ध्वनि की गति से 20 गुना तेज हमला कर सकती है। अन्य देशों में खासकर चीन अपने परमाणु ठिकानों को तेजी से बढ़ा रहा है। इतना ही नहीं परमाणु संपन्न देश आणविक हथियारों का प्रयोग करने के लिए अपनी रणनीति की नए सिरे से समीक्षा करने में लगे हैं। सैन्य खर्च भी बढ़ा रहे हैं। इससे शांति के मार्ग और सिकुड़ गए हैं।
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कई देशों ने तो परमाणु हथियारों के प्रयोग को लेकर बनी गाइडलाइन ‘म्यूचुअल अश्योर्ड डिस्ट्रक्शन’ (एमएडी) का भी तोड़ निकाल लिया है। जैसे रूस अपनी सैन्य कमजोरी की भरपाई के लिए छोटे सामरिक हथियारों के संभावित प्रयोग पर ध्यान दे रहा है। उत्तर कोरिया की आए दिन परमाणु हमले की धमकी भी संकट का कारण बन सकता है। चीन और पाकिस्तान अपनी परमाणु क्षमता का हवाला देते रहते हैं। भारत ने यह कहकर आशाजनक संदेश दिया है कि वह परमाणु हथियार प्रयोग करने वाला पहला देश नहीं बनेगा।
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रूस-अमरीका ने नहीं दिखाई दिलचस्पी
परमाणु हथियारों को सीमित करने या कम करने के सभी वैश्विक प्रयासों की गति रुक गई है। अमरीका और सोवियत संघ के बीच छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों को कम करने को लेकर हुई संधि भी पिछले वर्ष तोड़ दी गई। इसके लिए अमरीका ने रूस को जिम्मेदार ठहराया है। दोनों देश हथियार नियंत्रण के लिए 2010 में हुए ‘न्यू स्टार्ट’ समझौते को भी आगे बढ़ाने के पक्ष में नहीं दिख रहे हैं, जो अगले वर्ष फरवरी में खत्म हो रहा है। इस समझौते की विफलता के पीछे अमरीका की जिद भी रही, जो चाहता था कि वार्ता में तीसरी महाशक्ति के रूप में चीन शामिल हो। लेकिन चीन खुद परमाणु नियंत्रण के पक्ष में नहीं है। इतना ही नहीं लागू होने के 50 वर्ष बाद भी परमाणु अप्रसार संधि की प्रगति रुकी हुई है। समझौते पर हस्ताक्षर करने के बावजूद पांच देश परमाणु संपन्न हो गए। संभवत: ईरान अगला देश हो सकता है।
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