गौरतलब है कि अफगानिस्तान में पिछले कुछ सालों से आतंकी घटनाएं हो रही हैं, जिसमें पाकिस्तान के शामिल होने के सबूत सामने आए हैं। अफगानिस्तान ने कई बार वैश्विक मंच से भी पाक को आतंकवाद का दोषी बताया है। उसने यूएन से भी पाक की हरकतों को बेनकाब करने की कोशिश की है। ऐसे में इस दौरे से पाक को काफी उम्मीदें हैं।
आतंकवद के मुद्दे पर होगी चर्चा पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के अनुसार प्रधानमंत्री इस दौरान अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला से राजनीतिक, आर्थिक, सुरक्षा, आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, अफगानी शरणार्थियों की वापसी, मादक पदार्थो के उत्पादन और तस्करी जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
अफगानिस्तान-भारत के बीच मजबूत होते रिश्ते भारत और अफगानिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकियों के कारण भी पाक का यह दौरा अहम माना जा रहा है। अफगानिस्तान और भारत के बीच पहले हवाई गलियारे के परिचालन से दिल्ली से काबुल तक बेरोकटोक दोनों देश अपने सामानों का अदान-प्रदान कर रहे हैं। इसके साथ भारत सुरक्षा और निर्माण के क्षेत्र में भी अफगानिस्तान को काफी मदद प्रदान कर रहा है।
बलोच और गिलगिटस्तान का विरोध दूसरी ओर पाक के बलूचिस्तान और गिलगिटस्तान राज्य अफगानिस्तान की सीमा से लगे हुए हैं। दोनों ही क्षेत्रों में पाकिस्तान विरोधी लहर चल रही है। यहां के लोग भारत की मदद से आजाद होने की कोशिश कर रहे हैं। भारत पाक के इन क्षेत्रों में अफगानिस्तान के रास्ते ही लोगों तक पहुंच बना सकता है। ऐसे में पाक को डर है कि अगर अफगानिस्तान से भारत के संबंध बेहतर होते चले गए तो इससे आने वाले समय में उसे खामियाजा उठाना पड़ सकता है।