चाय के विकल्पों पर काम
पाकिस्तान के उच्च शिक्षा आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश जारी किए हैं कि वे 'चाय' के बजाय स्थानीय पेय पदार्थ 'लस्सी' या फिर 'सत्तू' को बढ़ावा दें।
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ये चाय के विकल्प तलाशने की वजहचाय का विकल्प तलाशने के पीछे वैसे तो कई वजह है लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण वजह है वो ये कि पाकिस्तान में बड़े स्तर पर चाय का आयात होता है। ऐसे में चाय के विकल्प अपनाए जाने पर चाय की खपत कम होगी और इससे संकट में भी राहत मिलेगी।
एक बड़ी वजह ये भी
इस फैसले के पीछे तर्क दिया गया है कि इससे न सिर्फ रोजगार बढ़ेगा, बल्कि देश में रोजगार भी बढ़ेगा और जनता के लिए आय भी पैदा होगी।
ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान में चाय के बागान नहीं है, लेकिन यहां चाय के बागानों को ज्यादा बढ़ावा नहीं दिया जाता। देश में ज्यादातर चाय बाहर से ही आयात की जाती है।
यही वजह है कि अब आर्थिक संकट के दौर में पाकिस्तान सरकार ने स्थानीय चाय बागानों को बढ़ावा देने पर जोर दिया है।
पाकिस्तान उच्च शिक्षा आयोग की ओर से इस तरह की एडवाइजारी तब जारी की गई है, जब पाक के योजना मंत्री का एक वीडियो सामने आया था।
इस वीडियो में वह देश के लोगों से चाय की खपत कम करने की अपील करते दिखाई दे रहे हैं। वह कहते हैं कि 'मैं देश से चाय की खपत में 1-2 कप की कटौती करने की अपील करता हूं क्योंकि हम कर्ज पर चाय का आयात करते हैं।'
यानी पाकिस्तान में चाय भी उधार की पी जाती है। उन्होंने देश की जनता से अनुरोध किया कि पाकिस्तान को चाय कर्ज पर मंगानी पड़ती है लिहाजा इसकी खपत को कम किया जाए।
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अब शुगर के कम यूज की भी अपीलचाय के बाद अब पाकिस्तान सरकार के मंत्री देश में शक्कर यानी शुगर के भी कम इस्तेमाल की अपील कर रहे हैं। इसके लिए भले ही सरकार सेहत का हवाला दे रही है, लेकिन आर्थिक संकट के बीच ये भी पैसा बचाने की ही कवायद है।