इस बिल के कानून बनने के बाद अब पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं को अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन कराने का अधिकार भी मिल गया। ध्यान हो कि पाकिस्तान की 19 करोड़ की आबादी में हिंदुओं की हिस्सेदारी 1.6 फीसदी है। साल 1947 में देश बंटवारे के बाद पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं के पास कानूनी तौर पर ऐसा तरीका नहीं था जिससे वो अपनी शादी का रजिस्ट्रेशन करा सकें। तो वहीं देश के अन्य अल्पसंख्यक समुदाय ईसाई लोगों के लिए शादी से जुड़ा 1879 का एक कानून मौजूद है।
पाकिस्तान की सत्ताधारी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज बिल के समर्थन में है। पाकिस्तान के कानून मंत्री ज़ाहिद अहमद ने सीनेट में हिंदू मैरिज बिल को पेश किया, जिसे बिना किसी विरोध या आपत्ति के पास कर दिया गया है। तो वहीं अभी तक अल्पसंख्यक हिंदुओं को रजिस्ट्रेशन के नाम पर शादी की तस्वीरों से काम चलाना पड़ता है। लॉ एंड जस्टिस की स्टैंडिंग कमेटी की रिपोर्ट पर बिल को पिछले साल पाक संसद में पेश किया गया था।
गौरतलब है कि इससे पहले 2 जनवरी को मानवाधिकार पर पाक संसद के सीनेट की कार्यकारी कमिटी ने इसे बहुमत के साथ पास किया था। यह पाकिस्तानी हिंदुओं का पहला पर्सनल लॉ है, जो पंजाब, बलोचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में लागू होगा. सिंध में पहले से अलग हिंदू मैरिज लॉ है।
जानें हिन्दु मैरिज बिल के बारे में.. इस नए बिल में हिंदुओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल रखी गई है। वहीं अन्य धर्मों में शादी के लिए लड़के की उम्र कम से कम 18 जबकि लड़की की उम्र 16 होनी चाहिए। इससे कम उम्र में शादी करने पर पाकिस्तान में 6 महीने की जेल और 5 हजार रुपए के जुर्माने का प्रावधान बताया गया है।
सूत्रों के मुताबिक, बिल में कहा गया है कि हिंदुओं की शादी पंडित करवाएंगे, लेकिन शादी का रजिस्ट्रेशन उसे रजिस्ट्रार के पास ही कराना होगा। स्टैंडिंग कमिटी ने शादी के लिए लड़के और लड़की की उम्र कम से कम 18 साल रखने पर सहमति दे दी है। तो वहीं शादी के बाद लड़का और लड़की आपसी सहमति से एक दूसरे से अलग भी हो सकते हैं। हालांकि इसके उन्हें अदालत से इजाजत लेनी होगी।