जेआईटी द्वारा 7 सप्ताह तक चली जांच के दौरान पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ समेत उनके परिवार के 8 सदस्यों से भी पूछताछ की गई थी। 20 अप्रैल को जांच टीम के गठन के बाद 7 मई 2017 को जेआईटी ने पत्रकार उमर चीमा और हुदैबिया पेपर मिल्स के मालिक तारिक शाफी को पूछताछ के लिए बुलाया।
इस तरह चली भ्रष्टाचार मामले की जांच- 7 मई के बाद 19 मई 2017 को केस में आगे की कार्यवाई करते हुए जेआई ने कतर के प्रिंस हम्माद बिन जासिम अल-थानी को 25 मई को हाजिर होने समन भेजा। लेकिन प्रिंस नहीं पहुंचे और उन्होंने मामले की लिखित जवाब भेजते हुए कोर्ट से अपील की कि लिखित जवाब को उनका बयान समझा जाए। इसके बाद 15 दिन की जांच प्रक्रिया के बाद 22 मई को जेआईटी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी पहली रिपोर्ट पेश की। इस दौरान कोर्ट में जेआईटी ने अपने ऊपर लगे आरोपों को भी पेश किया था।
इसके बाद 25 मई को हुसैन नवाज पहली बार जेआईटी के सामने पेश हुए। फिर मामले में 2 जून को हसन नवाज पहली बार जेआईटी के समझ हाजिर हुए। फिर दूसरी बाद वह 8 जून को जेआईटी के सामने पेश हुए। जेआईटी ने मामले में हसन से कुल 12 घंटे तक पूछताछ की।
अब मामले की कार्यवाई करते हुए 8 जून-14 जून 2017 तक जेआईटी ने पीएम नवाज शरीफ, पंजाब के मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ और पीएम के दामाद कैप्टन सफ्दर को एक सप्ताह के अंदर पूछताछ के लिए हाजिर होने को कहा। फिर 15 जून को नवाज शरीफ पहली बार जांच में सहयोग देते हुए जेआईटी के सामने पेश हुए। जहां जेआईटी ने उनसे 3 घंटे तक पूछताछ की।
फिर इस मामले जेआईटी ने पीएम नवाज शरीफ की बेटी मरयम नवाज से 5 जुलाई को पूछताछ की। अब जांच प्रक्रिया पूरी होने के बाद जेआईटी ने 10 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट की 3 सदस्यीय एक्सीक्यूशन बेंच को अपनी अंतिम रिपोर्ट पेश की। जहां कोर्ट में जेआईटी ने कहा कि भ्रष्टाचार मामले में उन्हें नवाज शरीफ परिवार के खिलाफ कई सबूत मिले हैं।