श्रीलंका में बन सकती है सर्वदलीय सरकार बताया जा रहा है कि श्रीलंका में जल्द ही सर्वदलीय सरकार बनने जा रही है, जिसमें विपक्ष के नेताओं को भी शामिल किया जाएगा। श्रीलंका के सभी दलों की ओर से ऐसा प्रस्ताव आया था कि राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए एक नई अंतरिम सरकार की जरूरत है। श्रीलंका में महंगाई बेकाबू है। दूध 1000 रुपए लीटर और एक कप चाय 100 रुपए तक बिक रही है। पेट्रोल और डीजल 250 रुपए लीटर मिल रहे हैं। सबसे बड़ी बात कि ये सामान मिल भी मुश्किलों से रहे हैं। यानी इनकी भारी किल्लत बनी हुई है। इस कारण लोग कर्फ्यू के बावजूद सड़कों पर उतर आए हैं। रविवार को भी केंद्रीय प्रांत में कर्फ्यू के बावजूद सरकार के विरोध में उतरे पेराडेनिया विवि के छात्रों व शिक्षकों पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। छात्र सर्वदलीय सरकार बनाने की मांग कर रहे थे। छात्रों ने आरोप लगाया कि कागज की कीमत बढ़ने से परीक्षाएं नहीं कराई जा रही हैं। इससे पूर्व, सरकार ने सोशल मीडिया पर लगी पाबंदी वापस ले ली।
कर्फ्यू के बावजूद रविवार शाम सड़कों पर उतरे लोग कर्फ्यू के बावजूद रविवार शाम को व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे (Gotbaya Rajpakshe) के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। गौरतलब है कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन जारी रहा। कर्फ्यू के आदेशों की अवहेलना करते हुए, श्रीलंका के प्रमुख विपक्षी दल समागी जाना बालवेगया के सांसदों ने राष्ट्रपति राजपक्षे के आपातकाल की स्थिति और अन्य प्रतिबंध लगाने के कदम के खिलाफ कोलंबो में सरकार विरोधी विरोध प्रदर्शन किया।
इस बीच कर्फ्यू के खिलाफ देश के दूसरे सबसे बड़े शहर कैंडी के बाहरी इलाके में पेरेडेनिया विश्वविद्यालय के करीब प्रदर्शन कर रहे शोधकर्ताओं और अन्य विद्यार्थियों पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। विपक्षी समागी जन बालावेग्या पार्टी के सांसद लक्ष्मण किरिएला ने बताया कि पुलिस ने विद्यार्थियों को वापस खदेड़ दिया। इस संबंध में पूछने पर पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया।
दबाव में लिए गए इस्तीफे, प्रधानमंत्री के बेटे ने भी दिया इस्तीफा संकट और रोष को देखते हुए, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को छोड़कर कैबिनेट के सभी मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यहां तक कि महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल राजपक्षे ने भी अपने सभी विभागों से इस्तीफा दे दिया है। नमल राजपक्षे ने एक ट्वीट में कहा कि “मैंने तत्काल प्रभाव से सभी विभागों से अपने इस्तीफे के बारे में राष्ट्रपति को सूचित कर दिया है, उम्मीद है कि इससे लोगों और श्रीलंका की सरकार को देश में स्थिरता स्थापित करने में महामहिम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सहायता होगी। मैं और मेरी पार्टी अपने मतदाताओं के लिए प्रतिबद्ध है।”
आज सुबह 6 बजे खत्म हो गया 36 घंटे का कर्फ्यू
गौरतलब है कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी। सरकार ने शनिवार शाम छह बजे से सोमवार (चार अप्रैल) सुबह छह बजे तक 36 घंटे का कर्फ्यू भी लगा दिया था।
सोशल मीडिया पर से हटाया प्रतिबंध
इस बीच, श्रीलंका सरकार ने व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों पर लगाया गया प्रतिबंध रविवार को हटा दिया। देश में सरकार विरोधी प्रदर्शन से पहले देशव्यापी सार्वजनिक आपातकाल घोषित करने और 36 घंटे के कर्फ्यू के साथ ही सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
प्रतिबंध हटाए जाने के बारे में एक अधिकारी ने कहा कि फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, टॉकटॉक, स्नैपचैट, व्हाट्सऐप, वाइबर, टेलीग्राम और फेसबुक मैसेंजर की सेवाएं 15 घंटे के बाद बहाल कर दी गईं। इन सेवाओं को पूरी तरह या आंशिक रूप से अवरुद्ध कर दिया गया था।
पाकिस्तान में भारी सियासी तूफान उधर, पाकिस्तान में केबिनेट सचिवालय की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि इमरान खान अब आधिकारिक तौर पर अब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नहीं हैं। बीते कई दिनों से पाकिस्तान की सियासत बड़े तूफान का सामना कर रही है। सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) तितर-बितर हो गई है। सहयोगी दलों ने जैसे ही सत्तारूढ़ गठबंधन का हाथ छोड़ा, इमरान खान के पार्टी की रीढ़ की हड्डी टूट गई। इमरान खान सरकार पर मंडराता संकट पूरी दुनिया के लिए बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं आज देश की सत्तारूढ़ पार्टी पर बिजली गिर गई, जब कैबिनेट डिवीजन ने इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से हटाने के लिए अधिसूचना जारी की।
कैबिनेट सचिवालय ने दिया संविधान का हवाला कैबिनेट सचिवालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया, ‘पाकिस्तान के राष्ट्रपति द्वारा पाकिस्तान विधानसभा को भंग करने के बाद संसदीय मामलों के मंत्रालय, दिनांक 3 अप्रैल, 2022, पाकिस्तान के इस्लामी गणराज्य के संविधान के अनुच्छेद 48(1) के साथ पढ़े गए अनुच्छेद 58(1) के अनुसार, इमरान अहमद खान नियाज़ी के पाकिस्तान प्रधान मंत्री के पद को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है।’
हालांकि जब तक कार्यवाहक प्रधान मंत्री संविधान के अनुच्छेद 224A- (4) के तहत नहीं आ जाते , तब तक इमरान खान प्रधान मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को निभाएंगे।
सभी आदेश अब अदालत के अधीन
वहीं पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट में रविवार को तीन सदस्यीय पीठ के मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने कहा कि नेशनल असेंबली भंग होने के बाद अपने आदेश में कहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान और राष्ट्रपति के सभी आदेश और कार्य अदालत के आदेश के अधीन होंगे।