समारोह में अपने विदाई भाषण में जनरल राहील शरीफ ने देश के विकास के लिए संस्थाओं के मिलकर काम करने की आवश्यकता पर जोर दिया और क्षेत्र में आक्रामक रुख अपनाने के लिए भारत को चेतावनी दी। समारोह में कुछ पूर्व सेनाध्यक्ष, संघीय मंत्री और कई देशों के राजनयिक उपस्थित थे। शरीफ ने कश्मीर घाटी का उल्लेख करते हुए कहा कि हाल के महीनों में जम्मू एवं कश्मीर में भारत के आतंकवादी और आक्रमक रुख से क्षेत्र में खतरा उत्पन्न हो गया है।
शरीफ ने कहा कि उन्होंने उनके कार्यकाल के दौरान प्रत्येक निर्णय में देशहित को प्राथमिकता दी। लेकिन क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति जटिल बनी हुर्ह है। जनरल बाजवा काफी समय तक रावलपिंडी स्थित 10 कोर कमान को अपनी सैन्य सेवाएं दे चुके हैं, जिस पर नियंत्रण रेखा की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। नियंत्रण रेखा भारत और पाकिस्तान को बांटती है। लेकिन जनरल बाजवा जब 10 कोर कमान में थे उस समय 2003 के संघर्ष विराम समझौते के बाद नियंत्रण रेखा पर सापेक्षिक रूप से शांति थी।
हालांकि नियंत्रण रेखा पर भारी तनाव के बीच उन्होंने सेना की कमान संभाली है। विगत कुछ महीनों में नियंत्रण रेखा पर दोनों ओर से भारी गोलाबारी हुई। निजी तौर पर बाजवा बुद्धिमान, सुलभ और जवानों से जुड़े हैं और सुर्खियों में रहने के भूखे नहीं हैं। वह सेना के बलूच रेजिमेंट के चौथे अधिकारी हैं जो सेनाध्यक्ष बने हैं। उनसे पहले जनरल याहिया खान, जनरल असलम बेग और जनरल कियानी इस पद तक पहुंचे थे।