‘हिंदू राष्ट्र के लिए चलाया जा रहा एजेंडा’
ज़हरा ने कहा कि CAA के खिलाफ पाकिस्तान की नेशनल असेंबली ने 16 दिसंबर, 2019 को एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें तर्क दिया गया था कि ये कानून समानता, गैर-भेदभाव और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन है। सिर्फ यही नहीं उन्होंने भारत की बीजेपी सरकार भी आलोचना भी की। ज़हरा यहीं नहीं रुकी, उन्होंने आगे कहा कि भारत ने जो ये भेदभाव वाला कदम उठाया है वो ये बता देता है कि भारत को हिंदू राष्ट्र में बदलने के एक भयानक एजेंडा चलाया जा रहा है।
CAA के क्रियान्वयन को मॉनिटर करेंगे
इधर अमेरिका ने भी CAA को लेकर बयान दिया है। अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने एक बयान जारी किया और कहा कि वो CAA के नोटिफिकेशन को लेकर चिंता में आ गए हैं। वो इस कानून के क्रियान्वयन को बारीकी से देखेंगे और मॉनिटर करेंगे। हम बारीकी से निगरानी कर रहे हैं कि इस अधिनियम को कैसे लागू किया जाएगा। धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सभी समुदायों के लिए कानून के तहत समान व्यवहार मौलिक लोकतांत्रिक सिद्धांत है।
बता दें कि अमेरिका के अलावा संयुक्त राष्ट्र, ह्यूमन राइट्स वॉच और एमनेस्टी इंटरनेशनल जैसे मानवाधिकार संगठनों सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की तरफ से CAA के बारे में बयान आए थे, जिसमें उन्होंने इस पर चिंता और आशंकाएं व्यक्त की थीं।
क्या है CAA?
बता दें कि बीती 11 मार्च को भारत सरकार ने देश में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 (CAA) लागू कर दिया है। जिससे 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों भारतीय नागरिकता दी जाएगी। इन अल्पसंख्यकों में हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध, पारसी समुदाय के लोग शामिल हैं। इसी के साथ भारत सरकार ने बयान जारी कर देश के मुसलमानों से इस कानून से ना डरने की अपील की है। सरकार का कहना है कि इस कानून से भारत के मुसलमानों को कोई हानि पहुंचेगी। ना ही उनके अधिकारों में बदलाव आएंगे।