script‘जहर फोबिया’ की शिकार हो रहीं ईरान में स्कूली छात्राएं, कई भर्ती | Schoolgirls in Iran falling prey to 'poison phobia', many recruited | Patrika News

‘जहर फोबिया’ की शिकार हो रहीं ईरान में स्कूली छात्राएं, कई भर्ती

locationजयपुरPublished: Mar 08, 2023 10:57:16 am

Submitted by:

Swatantra Jain

तेहरान. ईरान में स्कूल जाने से रोकने के लिए लड़कियों को कथित तौर पर जहर दिए जाने के मामले पर रहस्य गहराता जा रहा है। ईरान के छह प्रांतों – हमीदान, जंजन, पश्चिमी अजरबैजान, फार्स और अल्बोर्ज, अर्दबील की दर्जनों स्कूली छात्राओं को शनिवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालांकि किसी मामले की जांच में जहर देने की पुष्टि नहीं हुई है। जानकार इस पूरे मामले को ‘जहर फोबिया’ मान रहे हैं, जो शासन के दमन से पनपा है। दूसरी तरफ सरकार इसे विदेशी साजिश मान रही है।

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तेहरान. ईरान में स्कूल जाने से रोकने के लिए लड़कियों को कथित तौर पर जहर दिए जाने के मामले पर रहस्य गहराता जा रहा है। ईरान के छह प्रांतों – हमीदान, जंजन, पश्चिमी अजरबैजान, फार्स और अल्बोर्ज, अर्दबील की दर्जनों स्कूली छात्राओं को शनिवार को अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालांकि किसी मामले की जांच में जहर देने की पुष्टि नहीं हुई है। जानकार इस पूरे मामले को ‘जहर फोबिया’ मान रहे हैं, जो शासन के दमन से पनपा है। दूसरी तरफ सरकार इसे विदेशी साजिश मान रही है।
महसा अमिनी की मौत के बाद अब सत्ता का खौफ

स्थानीय मीडिया के अनुसार इलाज के लिए स्कूली छात्राओं को स्थानीय अस्पतालों में स्थानांतरित कर दिया गया है और वे आम तौर पर बेहतर स्थिति में हैं। ईरान में गलत तरीके से हिजाब पहनने के कारण हिरासत में ली गई 22 वर्षीय ईरानी-कुर्द महिला महसा अमिनी की हिरासत में ही 16 सितंबर को मौत के बाद वहां पांच महीने से अधिक समय तक देशव्यापी विरोध प्रदर्शन देखा गया। इसी व्यापक विरोध प्रदर्शन के बीच अब ईरान में स्कूली बच्चियों को बड़े पैमाने पर जहर दिए जाने की खबरों की पूरी एक श्रृंखला देखी जा रही है। लेकिन ये किस तरह का जहर है, इसे कौन दे रहा है और क्यों दे रहा है, इस बारे में अब तक कुछ भी स्पष्ट नहीं है। गौर करने की बात ये भी है कि इन कथित जहर के हमलों में अब तक किसी भी बच्ची की मौत नहीं हुई है।

अर्दबील में 108 छात्राओं को कराया गया था भर्ती
रिपोर्टों में कहा गया है कि अर्दबील में 108 छात्राओं को अस्पताल में भर्ती कराया, जिनमें से सभी की हालत स्थिर थी। फार्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, माता-पिताओं ने कहा कि तेहरान के पश्चिमी इलाके तेहरानसर के एक उच्च विद्यालय में छात्र को एक जहरीले स्प्रे के संपर्क में लाए गए थे। गौर करने की बात ये है कि इन सभी मामलों में पूरी स्पष्टता नहीं है और किसी भी छात्रा की मौत नहीं हुई।
ईरान के उपस्वास्थ्य मंत्री ने की थी पुष्टि
ईरान उप स्वास्थ्य मंत्री यूनुस पनाही ने 26 फरवरी को स्पष्ट रूप से दावा किया था देश में सैकड़ों लड़कियों को स्कूल जाने से रोकने के लिए जहर दिया जा रहा है। ईरान की स्टेट समाचार एजेंसी आईआरएनए ने पनाही के हवाले से कहा, कोम प्रांत के स्कूलों में कई छात्राओं को जहर दिए जाने के बाद यह पाया गया कि कुछ लोग चाहते थे कि सभी स्कूलों, खासकर लड़कियों के स्कूलों को बंद कर दिया जाए। पनाही ने ये भी कहा कि, अभी तक जहर देने के मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक 14 फरवरी को बीमार छात्रों के माता-पिता अधिकारियों से स्पष्टीकरण की मांग करने के लिए शहर के गवर्नर दफ्तर के बाहर इकट्ठा हुए थे।
सामने आए थे श्वसन विषाक्तता के 50 मामले
स्कूली छात्राओं को जहर देने की पहली ज्ञात घटना 30 नवंबर को ईरान के कोम शहर में हुई थी, जब लगभग 50 छात्राएं गंभीर बीमार पड़ गईं और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। मीडिया के मुताबिक, लड़कियों को अचानक उल्टियां होने लगी, उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही थी और फिर वो बेहोश होने लगीं। कई लड़कियों को अस्थाई पैरालाइसिस अटैक भी आया था। बाद में होश में आई लड़कियों ने बताया, कि उन्होंने किसी तरह के गंध का अनुभव किया था और उसके बाद ही उनकी वो स्थिति हुई।
राष्ट्रपति ने दिए थे घटना की जांच के आदेश
अगले दिन सरकार के प्रवक्ता अली बहादोरी जहरोमी ने कहा था कि खुफिया और शिक्षा मंत्रालय प्वाइजनिंग के कारणों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके बाद शुक्रवार को, ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने कहा थी कि उन्होंने मामले की जांच के लिए कहा है। साथ ही, उन्होंने इसके पीछे देश के दुश्मनों की साजिश करार दिया था।
राज्य के आतंक का शिकार हो रही चेतना
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के विरोधियों ने दावा किया है कि हिजाब विरोधी आंदोलन में ईरान की लड़कियों ने जिस तरह से बढ़-चढ़कर भाग लिया, उसके बाद ईरान सरकार नहीं चाहती है कि लड़कियां स्कूल जाएं। लिहाजा उनके मन में खौफ पैदा किया जा रहा है।
साइकोलॉजी टुडे की एक हालिया रिपोर्ट भी ये बताती है कि ईरान में युवा स्कूली लड़कियों का कथित विषाक्तता राजकीय आतंकवाद प्रतीत हो सकता है, लेकिन इस विषाक्तता की प्रकृति असल में केमिकल से ज्यादा मनोवैज्ञानिक हो सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक की गईं तमाम जांचों में जहरीले रसायन का कोई प्रमाण नहीं मिला है। कोई मौत नहीं हुई है और लगभग सभी पीड़ित जल्दी ठीक हो गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि, ईरान, अफगानिस्तान और फिलीस्तीन के वेस्ट बैंक की घटनाओं के बीच चौंकाने वाली समानताएं हैं जहां इस्लामिक स्कूलों में अलग-अलग समय अवधि में महिला छात्रों ने सिरदर्द, मतली, पेट में दर्द और धुंधली दृष्टि जैसे लक्षण प्रदर्शित किए हैं – वे बेहोश हो गई हैं और उन्हें अस्पताल ले जाया गया। शासकीय दमन के माहौल में सिर्फ लड़कियों में इस तरह के लक्षण कहीं न कहीं लड़कियों की उस सामूहिक चेतना से जुड़ा है, जिस माहौल में वे पल-बढ़ रही हैं।

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