जापान समेत अन्य सदस्यों ने भारत की सदस्यता का प्रश्न उठाया ऐसा समझा जाता है कि समूह का पूर्ण बैठक शुरू होने के प्रारंभ में जापान तथा कुछ अन्य सदस्यों ने भारत की सदस्यता के प्रश्न को उठाया और इसके बाद ही विशेष बैठक बुलाने का फैसला किया गया। यह पता नहीं चल सका है कि चीन तथा अन्य देश भारत की सदस्यता का खुलकर कड़ा विरोध करेंगे या उनका विरोध केवल औपचारिक होगा। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की बैठक में 48 देशों के 300 प्रतिनिधि भाग ले रहे है। अमेरिका तथा फ्रांस ने भारत के समर्थन में वक्तव्य जारी किया है। अनुमानत: 20 देश भारत का समर्थन कर रहे है। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह अपना निर्णय आम राय से करता है। इस कारण भारत का रास्ता कठिन है।
केवल एनएसजी के मुद्दे पर बातचीत, PM मोदी ने किया आग्रह भारत एवं चीन के शीर्ष नेताओं की यह बैठक ऐसे समय हुई जब इसके कुछ घंटों बाद सोल में एनएसजी के पूर्ण सत्र की बैठक के पहले प्रस्तावित है। पूर्ण सत्र की बैठक में भारत की सदस्यता का मुद्दा आने वाला है। प्रवक्ता ने बताया कि दोनों नेताओं के बीच बाकी समय केवल एनएसजी के मुद्दे पर ही बातचीत हुई। PM मोदी ने आग्रह किया कि चीन भारत के आवेदन पर निष्पक्षता एवं तथ्यपरक ढंग से विचार करे और गुणदोष के आधार पर निर्णय ले। उन्होंने यह भी कहा कि चीन को सोल में होने वाली बैठक में आम राय कायम करने में योगदान देना चाहिये। सूत्रों के अनुसार मोदी ने चीनी नेता से भारत की ऊर्जा आवश्यकता के लिए एनएसजी में उसकी सदस्यता जरूरत के बारे में चर्चा की और एनपीटी पर हस्ताक्षर के मुद्दे पर भी भारत के पक्ष को स्पष्ट रूप से रखा। हालांकि चीनी नेतृत्व की प्रतिक्रिया के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल सकी।
भारत के लिए क्यों जरुरी है NSG की मेंबरशिप भारत के लिये एनएसजी की सदस्यता इस मायने में बहुत अहम हो गई है कि उसने पेरिस में गत 30 नंवबर हो हुए सम्मेलन सीओपी-21 में भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य निर्धारित करते हुए घोषणा की है कि वह 2030 तक 40 प्रतिशत ऊर्जा गैर जीवाश्म स्रोतों से बनायेगा। इस स्वच्छ ऊर्जा को अधिकांश भाग परमाणु ऊर्जा का होगा। विदेशी निवेशकों को भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र निवेश के पहले निश्चितता का माहौल चाहिये। हालांकि भारत को एनएसजी में रियायतें दस साल पहले ही मिल चुकीं हैं लेकिन उसमें सदस्यता से निश्चितता आएगी।
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