लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की हेफेई यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों के शोध में बताया गया कि वियतनाम के तट पर समुद्री तलछट में चांदी की मात्रा 1850 के बाद तेजी से बढ़ी है। उसी समय दुनिया में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई थी और भारी मात्रा में ग्रीन हाउस गैसें वातावरण में छोड़ी जाने लगीं। यह पहला शोध है, जिसमें वैज्ञानिकों ने ग्लोबल वार्मिंग और समुद्र में चांदी की मात्रा के बीच संबंध स्थापित किया है।
ऐसे जमा हो रही चांदी
शोध के मुख्य लेखक लिकियांग जू का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग का ‘ट्रेस’ तत्वों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। कोबाल्ट, जिंक, आयरन आदि को ट्रेस तत्व कहा जाता है। ये पर्यावरण में कम मात्रा में होते हैं, लेकिन जीवन के लिए जरूरी माइक्रो न्यूट्रिएंट्स के रूप में काम कर सकते हैं। बाकी तत्वों की तरह चांदी भी भूमि पर पैदा होती है। बारिश का पानी इसे बहाकर समुद्र में ले जाता है।
समुद्री जीवों की जान के लिए खतरनाक
शोधकर्ताओं के मुताबिक चांदी समुद्री जीवों के लिए खतरनाक है। इस बारे में और शोध की जरूरत है कि यह समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर क्या असर डालती है। समुद्री जीव चांदी सोखते हैं और उनके मरने पर धातु समुद्र तल पर जमा होती रहती है।
भूकंप से बन रहा सोना
समंदर में चांदी मिलने के अलावा हाल के दिनों में एक रिसर्च भी सामने आई थी कि भूकंप से बड़े पैमाने पर सोने का निर्माण हो रहा है। आम धारणा है कि गर्म तरल पदार्थ पृथ्वी (Earth) की अंदरूनी दरारों से बहते हुए रासायनिक बदलाव से गुजरते हैं और इनके ठंडा होने पर सोना अलग हो जाता है। ऑस्ट्रेलिया (Australia) की मोनाश यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के ताजा शोध में दावा किया गया कि भूकंप से पैदा हुई बिजली से भूगर्भ में सोने के टुकड़े बनते हैं।
कैसे बन रहा सोना?
नेचर जियोसाइंस जर्नल में छपे शोध में बताया गया कि क्वार्ट्ज जैसे कुछ क्रिस्टल, यांत्रिक दबाव पर पीजोइलेक्ट्रिक (दबाव और गुप्त ऊष्मा से बनी बिजली) वोल्टेज पैदा कर सकते हैं। यह प्रभाव आमतौर पर क्वार्ट्ज घडिय़ों और कुकिंग लाइटर में पाया जाता है। शोधकर्ताओं ने पीजोइलेक्ट्रिक का परीक्षण कर यह समझने की कोशिश की कि बड़े सोने के टुकड़े कैसे बनते हैं। पीजोइलेक्ट्रिक प्रभाव की खोज सबसे पहले 1880 में फ्रांसीसी भौतिकविद जैक्स और पियरे क्यूरी ने की थी। पीजोइलेक्ट्रिक में ठोस पदार्थ की यांत्रिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा में बदलती है।