वैज्ञानिकों को ‘बीएच-3’ का पता तब चला, जब उन्होंने ‘अकीला’ तारामंडल के एक तारे के घूमने में लचक देखी। यह तारा विशालकाय ब्लैक होल (Black Hole) के चक्कर लगाता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि आकाशगंगा में ‘BH-3’ जैसे एक अरब तारकीय ब्लैक होल हो सकते हैं। हालांकि इन्हें ढूंढऩा बेहद मुश्किल है, क्योंकि ज्यादातर के इर्द-गिर्द कोई तारा चक्कर नहीं लगाता।
ज्यादा दूर नहीं
गैया स्पेस ऑब्जर्वेटरी से जुड़े खगोलविद डॉ. पास्क्वेले पनुजो ने कहा, हैरान करने वाली बात है कि हमारी आकाशगंगा (Milky Way) में तारकीय मूल का यह सबसे विशाल ब्लैक होल पृथ्वी से ज्यादा दूर नहीं है। यह अब तक खोजा गया दूसरा ऐसा ब्लैक होल है, जो पृथ्वी के सबसे निकटतम है।
विशाल तारे के नष्ट होने से हुई उत्पत्ति
वैज्ञानिकों के मुताबिक ‘बीएच-3’ की उत्पत्ति विशाल तारे के नष्ट होने से हुई। कुछ ब्लैक होल धूल और गैस के भारी बादल ढहने से बनते हैं। ‘सेगिटेरियस ए*’ ऐसा ही ब्लैक होल है, जो आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद है। यह सबसे बड़ा गैर-तारकीय ब्लैक होल है, जिसका द्रव्यमान सूर्य से 40 लाख गुना ज्यादा है।