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सीरिया : आखिर क्यों कमजोर पड़ा असद का जलवा

Published: Aug 18, 2020 11:55:45 pm

Submitted by:

pushpesh

-गृहयुद्ध से बर्बाद हुए सीरिया में मित्र देश भी छोडऩे लगे साथ-एक-तिहाई हिस्सा राष्ट्रपति असद के नियंत्रण से दूर

सीरिया : आखिर क्यों कमजोर पड़ा असद का जलवा

सीरिया : राष्ट्रपति बशर अल असद

दो दशक से सीरिया की सत्ता पर काबिज सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद संकट में घिरने लगे हैं। उनके परिवार में फूट, गिरती अर्थव्यवस्था और प्रमुख सहयोगी रूस के साथ बढ़ते तनाव के चलते असद कमजोर हो गया है। सीरिया के एक कोने में जमे विद्रोहियों को अब कोई खतरा नहीं है और पिछले पांच दशक से असद परिवार के अलावा राष्ट्रपति का कोई गंभीर दावेदार नहीं है। लेकिन विपक्ष को कुचलने के लिए असद द्वारा तैयार की गई वफादारों की फौज में अब दरार दिखने लगी है। ईरान के बाद अब रूस का भी सीरिया से मोहभंग होने लगा है।
सबसे बड़ी बात तो यह है कि सीरिया इस वक्त अभूतपूर्व गरीबी के दौर से गुजर रहा है। लेकिन इसे आर्थिक रूप से पुनर्जीवित करने के लिए न तो रूस और न ही ईरान अरबों डॉलर की मदद देने की स्थिति में है। इसके बावजूद असद राजनीतिक सुधार लागू करने के पक्ष में नहीं है, जो पश्चिमी और खाड़ी देशों से फंडिंग के रास्ते खोल सकता है। देश का एक तिहाई हिस्सा अभी भी असद के नियंत्रण से दूर है। दक्षिणी प्रांत दारा में नए विद्रोह की हलचल है। लंदन की थिंक टैंक लीना खतीब का कहना है कि असद ईरानी और रूसी समर्थन पर अत्यधिक निर्भर हो गए हैं। उनके पास अपने निर्वाचित सदस्यों को देने के लिए घरेलू संसाधन नहीं हैं। उनके पास अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता नहीं है, उतना सैन्य बल भी नहीं है, जो संघर्ष से पहले था। असद के शस्त्रागार खाली हैं और वह पहले से कहीं अधिक कमजोर है।
ममेरे भाई से बिगड़े संबंध
असद और उसके ममेरे भाई रामी मखलौफ के बीच अनबन जगजाहिर है। सरकार द्वारा उसकी संपत्ति जब्त किए जाने के प्रयासों पर उसने शिकायत के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। यह दर्शाता है कि वह अब राष्ट्रपति से सीधे संवाद नहीं करना चाहता। मखलौफ सीरीटेल मोबाइल नेटवर्क सहित कई बड़ी कंपनियों चलाते हैं और हजारों लोगों को रोजगार देते हैं। मखलौफ की औद्योगिक घरानों और व्यापारियों में गहरी पकड़ है। खतीब के मुताबिक अब असद अपने पहले वाला प्रभाव हासिल करना चाहते हैं, वे मखलौफ सहित उन उद्यमियों पर फिर नियंत्रण चाहते हैं, जो मिलीशिया की मदद करते हैं।
असद के मित्र रहे एयान अब्देल नूर का कहना है कि मखलौफ को असद के राष्ट्रपति होने से कोई खतरा नहीं है। मखलौफ अल्पसंख्यक अलावी संप्रदाय का महत्वपूर्ण परिवार है, जिसकी कंपनियों ने हजारों सीरियाई लोगों को रोजगार दिया। अब असद से असंतुष्ट अलावी समुदाय में बड़ी पहचान बनकर उभरा है।
लीरा में फिसलन से सीरियाई मुद्रा कमजोर हुई
सीरिया के वरिष्ठ पत्रकार डैनी मक्की का कहना है कि सवाल सिर्फ मखलौफ के साथ असद के संबंधों में दरार को लेकर नहीं है, बल्कि सवाल अर्थव्यवस्था का है। सीरिया में सिकुड़ रही अर्थव्यवस्था कुछ ही लोगों के पास सिमट कर रह गई है। गृहयुद्ध में करोड़ों लोग देश छोड़ चुके और लाखों मौत के घाट उतार दिए गए। सीरियाई मुद्रा ने हाल के दिनों में डॉलर के मुकाबले आधी कीमत गंवा दी है। हाल ही जारी विश्व खाद्य कार्यक्रम की रिपोर्ट के अनुसार सीरिया में एक माह में रोटी, चीनी और अन्य राशन सामग्री के दाम दोगुना हो गए हैं, जो अकाल की आशंका के करीब ले जाती है। लेबनान की मुद्रा लीरा में फिसलन से सीरिया की मुद्रा में गिरावट को और तेज कर दिया। क्योंकि सीरियाई व्यापारी पड़ोसी देशों में आयात के लिए लेबनान के बैंकों पर निर्भर हैं।
जनता भय, भूख और गरीबी से त्रस्त
पूर्व कृषि मंत्री नूरदीन मौना ने पिछले दिनों फेसबुक पेज पर लिखा, सीरिया में हालात निराशाजनक और भयावह हैं। सीरिया की जनता चिंता, भय, भूख और गरीबी से ग्रस्त है। मास्को में विदेश और रक्षा परिषद के अध्यक्ष फॉडोर लुक्यानोव का कहना है, बेशक असद रूसी समर्थन पर निर्भर है, लेकिन राजनीतिक रूप से रूस भी उस पर निर्भर है। रूस भारी राजनीतिक क्षति के बिना उसे छोडऩे का जोखिम नहीं उठा सकता। हालांकि असद रूस की मंशा के अनुरूप राजनीतिक बदलावों के लिए तैयार नहीं है, जिससे रूस निराश है। क्योंकि इन बदलावों से असद का कद कमजोर होता है। मार्च में इदलिब प्रांत में तुर्की ने हमला कर सीरिया को चेता दिया था। इसके बाद रूस ने असद का पक्ष लेने की बजाय तुर्की का समर्थन ऊपर रखा। जिससे असद निराश है।
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