एकीकरण के बाद निजीकरण के दौरान पूर्व में कारखाने बंद हो गए, जिन्हें पश्चिम के लोगों ने खरीद लिया। पूर्व की योग्यताएं अमान्य हो गई। एकीकरण के दो वर्ष बाद पूर्वी हिस्से में औद्योगिक उत्पादन में तीन चौथाई से अधिक गिरावट आ गई और 30 लाख से अधिक लोग बेरोजगार हो गए। इस निराशा में काफी लोग पलायन कर गए। तीन दशक बाद तस्वीर कुछ बदली है। ऊर्जा उद्योग ने पूर्व और पश्चिम की अर्थव्यवस्था को सुधारा है। लेकिन असमानताएं अब भी बनी हैं। पूर्व में उन लोगों का वेतन और खर्च 85 फीसदी तक बढ़ गया, जो पहले पश्चिम में थे। जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल पूर्व की होने के बावजूद शिक्षा, व्यापार और राजनीति में पश्चिम अग्रणी है। बेरोजगारी दर में भी अंतर है, यह पूर्व में 6.9 है तो पश्चिम में 4.8 फीसदी है। शरणार्थियों को शरण देने के मामले में भी भेदभाव नजर आया। पश्चिम की बजाय पूर्व में एक लाख से अधिक शरणार्थियों को शरण देने के मुद्दे पर भी एंजेला घिरीं। विरोधी ग्रीन्स पार्टी को चुनाव में इसका फायदा भी हुआ।
पूर्वी जर्मनी में शिक्षा मुफ्त थी, जबकि पश्चिमी जर्मनी में रोजगार के हालात अच्छे थे। इस कारण जर्मन विद्यार्थी शिक्षा के लिए पूर्वी हिस्से में जाते और नौकरी के लिए पश्चिमी जर्मनी लौट आते थे। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जब जर्मनी का विभाजन हो गया, तो सैकड़ों कारीगर, प्रोफेसर, डॉक्टर, इंजीनियर और व्यवसायी प्रतिदिन पूर्वी बर्लिन को छोडकऱ पश्चिमी बर्लिन जाने लगे। बर्लिन दीवार का मुख्य मकसद पूर्वी जर्मनी से भाग कर पश्चिमी जर्मनी जाने वाले लोगों को रोकना था।
-बर्लिन की दीवार की देखरेख के लिए 302 ऑब्जर्वेशन टावर, 259 डॉग रन और 20 बंकर थे।
-13 अगस्त 1961 को बर्लिन दीवार का निर्माण शुरू हुआ। 9 नवंबर 1989 को 155 किलोमीटर लंबी दीवार को गिराने की शुरुआत हुई। हालांकि 13 जून 1990 के बाद इसके ज्यादातर हिस्से को गिराया गया। 3 अक्टूबर 1990 को जर्मनी फिर से एक देश बन गया।
-कुछ जर्मन नागरिकों ने दीवार के टुकड़े ऑनलाइन बेच दिए। इन्हें ‘दीवार कठफोड़वा’ कहा गया।
-136लोगों की जान गई दीवार लांघने की कोशिश में। पांच हजार लोग पूर्व से पश्चिम जर्मनी जाने में सफल रहे।