पाकिस्तान को दी थी 45 करोड़ डॉलर की मदद दरअसल हाल ही में अमरीका ने पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान के बेड़े के रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता को मंजूरी दी थी। अब अपने फैसले का बचाव करते हुए अमरीका ने कहा कि ‘‘स्पष्ट’’ आतंकवादी खतरों से निपटने की इस्लामाबाद की क्षमता बढ़ाने के लिए विमानों का ‘रखरखाव’ सुनिश्चित करने के वास्ते सैन्य उपकरण उपलब्ध कराना ‘‘हमारा दायित्व’’ है।
डोनाल्ड ट्रंप के फैसले को पलटते हुए दी गई थी मदद इस महीने की शुरुआत में ही अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले को पलटते हुए पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान के बेड़े के रखरखाव के लिए 45 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता को मंजूरी दी थी। अमरीका की यात्रा पर आए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस फैसले पर सवाल उठाया था। अमरीका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस मुद्दे पर सवालों के जवाब में कहा, ‘‘यह पाकिस्तान के पास लंबे समय से मौजूद एफ-16 के लिए रखरखाव से संबंधित है। इनमें कुछ नया नहीं है, बल्कि उसके (पाकिस्तान के) पास जो मौजूद है उसे बरकरार रखा जा रहा है। हमारी जिम्मेदारी और दायित्व है कि हम जिसे सैन्य उपकरण उपलब्ध कराएं, उसका रखरखाव भी किया जाए। यह हमारा दायित्व है।’’
संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को किया संबोधित भारत के साथ विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में ब्लिंकन ने कहा, ‘‘पाकिस्तान से ही पैदा होने वाले आतंकवाद के स्पष्ट खतरे हैं और चाहे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान हो, चाहे आईएस या अल-कायदा, मुझे लगता है कि खतरे स्पष्ट हैं और यह सुनिश्चित करने में हम सभी का हित है कि हमारे पास उनसे निपटने के साधन हों।’’ ब्लिंकन ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी से बातचीत करने के एक दिन बाद कहा कि अमेरिका अपने मित्रों को अपने मतभेद कूटनीति, संवाद के जरिये हल करने के लिए प्रेरित करता है।
पाक विदेश मंत्री के साथ नहीं किया संयुक्त संवाददाता सम्मेलन बता दें, अमरीकी विदेश मंत्री ने सिर्फ भारत के विदेश मंत्री के साथ ही संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया, पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो के साथ अमरीका के विदेश मंत्री और उनके प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात जरूर की, पर किसी संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित नहीं किया।
इसके पहले अमरीका के रक्षा मंत्री ने भी भारत के विदेश मंत्री को विशेष सम्मान के साथ अमरीका के रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय में आमंत्रित किया था और द्विपक्षीय मुद्दों पर पर चर्चा की थी।