एंजेला मर्केल (जर्मन चांसलर)
जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल ने समय रहते ही देशवासियों को बता दिया कि यह वायरस देश की 70 फीसदी आबादी को संक्रमित कर सकता है। इसलिए इसे गंभीरता से लें। अब हालात नियंत्रण में हैं और जल्द ही प्रतिबंधों में ढील दी जाएगी। जर्मनी में अब तक 4862 मौतें हो चुकी हैं।
त्साई इंग वेन (ताइवान की राष्ट्रपति)
सबसे पहले और सबसे तेज प्रतिक्रिया ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग वेन की थी। जनवरी में जब पहला केस सामने आया तो उन्होंने बिना लॉकडाउन किए 124 उपायों को अपनाकर इस पर काबू पाया। अब वह अमरीका और यूरोप में एक करोड़ मास्क भेज रही हैं।
जेसिंडा अर्डर्न (न्यूजीलैंंड की प्रधानमंत्री)
जेसिंडा ने शुरुआत में ही बाहर से न्यूजीलैंड आने वाले लोगों को सेल्फ आइसोलेशन के लिए कहा। 28 दिन का लॉकडाउन लगाने से पहले दो दिन का समय दिया। जब देश में 6 मामले थे, तभी उन्होंने बाहर से आने वालों को बैन कर दिया। उनके कुशल नेतृत्व और निर्णय क्षमता के चलते न्यूजीलैंड इस झंझावात से बचा रह गया।
कैत्रिन जैकब्सडॉटर (आइसलैंड की प्रधानमंत्री)
आइसलैंड की बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए यहां नियमित जांच रहीं। शुरू से ही स्क्रीनिंग और जांच पर जोर दिया। खास बात ये है कि सभी नागरिकों को मुफ्त जांच के लिए प्रोत्साहित किया गया। दक्षिण कोरिया और सिंगापुर की तरह धड़ाधड़ जांच से संक्रमितों को आइसोलेट किया गया।
सना मारिन (फिनलैंड की प्रधानमंत्री)
दिसंबर में दुनिया की सबसे युवा प्रधानमंत्री बनने वाली सना मारिन ने कोरोना से लडऩे के लिए सोशल मीडिया को अस्त्र बनाया। मारिन ने उन लोगों से संपर्क किया, जो सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं और उनकी बातें लोग मानते हैं। इससे उन्होंने पूरे देश को बात समझाई।
एर्ना सोलबर्ग (नॉर्वे की प्रधानमंत्री)
एर्ना ने कोरोना के खतरे से देश को बचाने के लिए टीवी को माध्यम बनाया। खासकर उन्होंने बच्चों को समझाया कि हमें घर में रहना क्यों जरूरी है। निजी और सरकार संस्थानों को बंद किया। जल्द ही अब वे लॉकडाउन हटा सकती हैं।
मेट फ्रेडरिक्शन (डेनमार्क की प्रधानमंत्री)
42 वर्षीय मेट ने कोरोना के संकट को समय रहते भांप लिया। इसके बाद उन्होंने देश में लॉकडाउन भी किया, लेकिन इससे अधिक उन्होंने टीवी और सोशल मीडिया के जरिए देशवासियों को वायरस के खतरे को बखूबी समझाया और प्रभावी नियंत्रण पाया।