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NRI Special : यह है एक अनूठी प्रवासी भारतीय नारी, जानिए इनकी सक्सेस स्टोरी

आप तो जानते हैं कि भारत से बाहर भी भारत है। आत्मीयता का भारत। आज हमको मिला रहे हैं अमरीका में रह कर हिन्दी,समाजसेवा और ज्योतिष को समर्पित ऐसी ही एक एक प्रवासी भारतीय शख्सियत अनिता कपूर ( Anita kapoor) से। उन्होंने प्रवासी भारतीयों के दुख-दर्द और एहसासों पर एक पुस्तक लिखी है, जो जल्द ही छप कर आने वाली है। उनकी पुस्तक उन्ही लम्हों, दुख दर्द और पीड़ा की साक्षी है जिसे प्रवासियों ने झेला और फिर कैसे उस स्थिति से बाहर आए। वे एक ही समय में बहुत सारे बेमिसाल कार्य करती हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ( International women day) पर अनिता कपूर ने अमरीका से बताई संघर्ष से शीर्ष तक पहुंचने की रोचक और प्रेरक सक्सेस स्टोरी (Success story), पेश है उन्हीं के शब्दों में :
 
 

Mar 07, 2024 / 03:13 pm

M I Zahir

 

आप अत्मीय तौर पर भारत से अमरीका क्या लाई हैं?
अनिता कपूर — मैं अपने हिस्से के भारत को अपने साथ ले आई हूं। ज़िंदगी, कार्यक्षेत्र और उनका तय समय सब नियति और प्रारब्ध के हाथों में होता है। किस क्षेत्र में कार्य करना है, और फिर सफलता मिलना उसके पीछे हमारी मेहनत तो होती ही है, साथ ही ईश्वर का हाथ भी मिले तो हम सब अवश्य कामयाब होते हैं। वक्त, हालात और परिवेश के चलते कार्य भी बदल जाए तो कोई अचरज नहीं। ऐसा ही कुछ मेंरे साथ भी हुआ। काफी पड़ावों को पार कर आज साहित्य, और ज्योतिष मुख्य कार्य धारा में हूं।

 

 

आपकी कार्य धारा के हिस्से बताइए
अनिता कपूर — समाज सेवा, पत्रकारिता, हिन्दी पढ़ाना और अनुवाद मेरी कार्य धारा के हिस्से हैं। ज्योतिष के माध्यम से उस वर्ग की सेवा करने से पीछे नहीं रहती, जिन्हें वाकई जरूरत है खास तौर पर महिला वर्ग की। व्यवसाय हो या सामाजिक कार्यक्षेत्र, उसके साथ न्याय आप तभी कर पाते हैं जब आप स्वयं की अंतरात्मा से संतुष्ट है और आप जानते हैं कि, इस धरती पर जन्म ले कर आने के मकसद पारदर्शी है। हाँ जिस समाज से हम आते है वहाँ महिलाओं को ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

 

अपने जन्म और शिक्षा के बारे में बताएं
अनिता कपूर— मेरा जन्म भारत में हुआ। स्कूल से कॉलेज तक की शिक्षा भारत में हुई है। भारत से बी.ए, एम. ए अंग्रेजी, एम. ए हिंदी, अंग्रेजी में पी.एच.डी. किया है। साथ जर्नलिज्म, संगीत (सितार), और फैशन डिजाइनिंग का कोर्स भी किया और ज्योतिष का ज्ञान भी अर्जित किया। भारत में प्रिंट मीडिया में भी काम करती रही। फैशन डिजाइनिंग की एक संस्था भी चलाई। अमरीका आने के बाद “बे-एरिया इमिग्रेशन व लीगल सर्विसेस“, अमरीका, के लिए अनुवादिका का कार्य करना और साथ ही अमेरिका में वैदिक ज्योतिष /हस्तरेखा/टैरो/वास्तु ज्योतिष विद्या में कार्यरत रही।

 

आप अमरीका कब पहुंचीं और यहां तक का सफर कैसा रहा?
अनिता कपूर— जब पच्चीस वर्ष पहले भारत से अमरीका की धरती पर आना हुआ तो भिन्न और नए समाज, परिवेश और वातावरण में रहने पर महसूस हुआ कि, खुद को स्थापित करने के लिए और नए समाज का हिस्सा बनने के लिए, हम प्रवासियों को कितनी जद्दोजहद से गुजरना होता है, कम या ज्यादा यह तो आपकी आर्थिक स्थिति पर निर्भर है। आज तो बहुत सी सुविधाएँ हैं, लेकिन उस जमाने में उतने संसाधन नहीं थे। एक मिट्टी से दूसरी नयी मिट्टी में रोंपने पर तो पौधे भी तकलीफ पाते हैं फिर हम तो संवेदनशील इंसान हैं।


अब जरा अपने प्रकाशनों के बारे में भी बताएं
अनिता कपूर— जहां तक मेरे प्रकाशन की बात है, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार की ओर से प्रकाशित, “साक्षात्कार के आईने में प्रवासी साहित्यकार डॉ अनिता कपूर”, काव्य-संग्रह- बिखरे मोती, कादंबरी, अछूते स्वर, ओस में भीगते सपने, सांसों के हस्ताक्षर, शब्दों के बीज, चेतना की चिंगारियाँ। हाइकु: संग्रह-दर्पण के सवाल, सैलानी चाँद, आधी आबादी का आकाश और बोंजाई, हाइकु आकाश के छोटे-छोटे चाँद (मराठी अनुवाद), लघुकथा संग्रह- धूप की मछलियाँ। भारत व अमरीका की कई साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में कहानी, कविता, कॉलम, साक्षात्कार व लेख प्रकाशित, ज्योतिष शास्त्र और ग्रहों से जुड़े विषय पर चार पुस्तकें भी प्रकाशाधीन हैं।

 

आप तो व्याख्यानों के लिए भी जानी जाती हैं
अनिता कपूर — हां, कुरुक्षेत्र विवि में गीता पर व्याख्यान के लिए सम्मान हो चुका है। ग्लोबल हिंदी ज्योति संस्था की संस्थापक हूं। आध्यात्मिक संस्था “Divine Rhythm of Soul” के माध्यम से मेडिटेशन के आयोजन करवाती हूं। हां, मैने “यादें” समाचार पत्र के सम्पादन का कार्यभार संभाला है। यह चुनौती भरा कार्य है, खासतौर पर जहां अँग्रेजी का बोलबाला हो। उसके बीच अपनी भाषा की अलख जगाना तो आसान है पर उसे जगाए रखना किसी अग्नि परीक्षा से गुजरने जैसा होता है।


आपको तो देश विदेश में कई प्रतिष्ठित सम्मान मिले हैं?
अनिता कपूर – देश विदेश यानि अमरीका, कनाडा और लंदन से अनगिनत सम्मान प्राप्त हुए। मारवाड़ के पूर्व राजघराने की महारानी हेमलता राजे ने ज्योतिष के लिए सम्मान किया। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, नई दिल्ली (ICCR), केंद्रीय हिंदी संस्थान और भारतीय भाषा परिवार के संयुक्त तत्वावधान में अमरीका में भाषा प्रचार-प्रसार में योगदान के लिए अंतरराष्ट्रीय भारतीय भाषा सम्मान मिला। इंटरनेशनल एस्ट्रोलॉजी फैडरेशन की ओर से मुंबई में ज्योतिष चक्रवर्ती सम्मान प्राप्त हुआ। इंडिया नेटबुक्स व बीपीए फ़ाउंडेशन की ओर से “राजीव अवस्थी प्रवासी साहित्य भूषण सम्मान” से सम्मानित किया गया। किरोड़ीमल शासकीय कला व विज्ञान महाविद्यालय,रायगढ़, छत्तीसगढ़ से “प्रवासी साहित्यकार सम्मान” से विभूषित किया गया। अंतरराष्ट्रीय हिन्दी समिति, दिल्ली की ओर से “साहित्य भूषण” सम्मान, बे-एरिया, सेनफ्रांसिस्को, अमरीका स्थित “कलामे प्रोडक्शन” की ओर से कम्युनिटी सेवा के लिए अंतरराष्ट्रीय हिंदी साहित्यिक सम्मेलन में मिस्सीसगा, ब्रहम्टन के सांसद से सम्मान मिला। ओटावा के हाई कमिश्नर की ओर से सम्मानित किया गया। प्रवासी भारतीय दिवस पर वाराणसी में महात्मा गांधी की पोती, तारा माँ के हाथों “नारी उद्यमी 2019″ का सम्मान दिया गया, नेहरू सेंटर, लंदन में हिन्दी कविता पाठ के लिए सम्मानित किया गया। इसी तरह अमरीका में सामाजिक संस्थाओं और टीवी चैनल की ओर से हिन्दी में योगदान के लिए सम्मान हुआ।

 

 


संस्थाओं से जुड़ाव और गतिविधियों पर कुछ रोशनी डालें ?
अनिता कपूर— मैं ‘ग्लोबल हिंदी ज्योति’, कैलिफोर्निया की हिन्दी संस्था “ ग्लोबल हिन्दी ज्योति” की संस्थापक व जनसंपर्क निदेशक हूं। मेरी संस्था की ओर से कवि-सम्मेलनों का आयोजन किया जाता है, कम्युनिटी, मंदिर और स्कूलों में हिंदी पढ़ाती हूं और हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए बच्चों की निबंध और कविता प्रतियोगिता करवाती हूं। सेन-फ़्रांसिस्को स्थित भारतीय दूतावास के साथ मिल कर अपनी संस्था के अनगिनत कार्यक्रम का आयोजन करती हूं। कुछ एनजीओ के साथ जुड़ कर जरूरतमंद महिलाओं की हर संभव मदद करती हूं। भारतीय कम्युनिटी सेंटर और वृद्धाश्रम में समय-समय पर सेवाएं देती हूं। हिन्दू मंदिरों और सांस्कृतिक केन्द्रों में योगदान के लिए कई बार पुरस्कृत भी हुई हूं। अमरीका में रेडियो कार्यक्रम और भारत से आए विशिष्ट कवियों का साक्षात्कार भी करती हूं।

 

 

वह कौनसी शक्ति है जो आपसे इतने सारे कार्य करवाती है?
अनिता कपूर —मेरी रूह का एक कोना अपनी धरती के खूँटे से बंधे होने के कारण ही मुझसे सारे कार्य करवाता है।

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