
Chimamanda Ngozi Adichie
Chimamanda Ngozi Adichie in Hindi: नाइजीरिया राइटर की पॉपुलर और बेस्ट सेलर राइटर चिमामांडा नगोज़ी अदिची (Chimamanda Ngozi Adichie) दुनिया में तहलका मचा रही हैं। उनके लेखन के भारत में भी लोग दीवाने हैं। भारतीयों का क्रेज़ देख कर अब उनकी किताबें हिंदी में भी उपलब्ध हैं। राजस्थान के किशनगढ़ मूल के मशहूर प्रवासी भारतीय साहित्यकार अहमद सोहैल ( NRI Writer Ahmed Sohail) ने सीधे अमेरिका से बताया कि चिमामांडा नगोज़ी अदिची की किताबों के अमेरिकाना ( Americanah) और हाफ ऑफ ए येलो सन , हिन्दी, तमिल, मराठी और अन्य भारतीय भाषाओं में हुए हैं। उनके उपन्यास हाफ ऑफ ए येलो सन ( Half of a yellow son) का हिंदी में अनुवाद "एक आधा पीला सूरज" के नाम से हुआ है, जिसे अनुवादक सुरेश चंद्र और दिव्या माथुर ( Divya Mathur) ने अनुवाद किया है। चिमामांडा नोगोजी अदिची के उपन्यास Americanah का "अमेरिकनाह" के नाम से राधिका चक्रवर्ती ( Radhika Chakraborty) ने हिंदी में अनुवाद किया है। इसके अलावा, उनकी अन्य रचनाएँ भी विभिन्न भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हैं।
प्रवासी भारतीय साहित्यकार सोहैल बताते हैं, प्रमुख नाइजीरियाई लेखिका अदिची अपने उपन्यासों, कविताओं, लघु कथाओं और निबंधों के लिए जानी जाती हैं। उनके काम में पहचान, नस्ल, प्रवास, लिंग और नाइजीरिया के उपनिवेशी अनुभवों जैसे विषयों की खोज की गई है। सन 1997 में, प्रारंभिक चिकित्सा शिक्षा के बाद, उन्होंने अमेरिका में अध्ययन करने का निर्णय लिया, जिससे उनके करियर की दिशा में परिवर्तन आया। उन्होंने ईस्टर्न कनेक्टिकट स्टेट यूनिवर्सिटी से संचार और राजनीति में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 2001 में, जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी से रचनात्मक लेखन में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद, अदिची ने येल यूनिवर्सिटी में अफ्रीकी इतिहास का अध्ययन किया है। अदिची के प्रसिद्ध कार्यों में उनका पहला उपन्यास, परपल हिबिस्कस, हाफ ऑफ ए येलो सन और अमेरिकनाह शामिल हैं, जिन्होंने 2014 में फिक्शन के लिए नेशनल बुक क्रिटिक्स सर्कल पुरस्कार सहित कई प्रशंसा प्राप्त की। उनकी गैर-फिक्शन पुस्तक, हम सभी को उनकी कहानी सुननी चाहिए, ने दुनिया भर में नारीवाद पर बहस को प्रभावित किया।
उन्होंने बताया कि अदिची एक सशक्त, लचीली और अद्वितीय सुधारवादी-नारीवादी हैं। वे अपने नारीवाद के साथ, लिंग आधारित भेदभाव के खिलाफ संघर्ष करने के लिए तत्पर हैं। उनके जीवन के अनुभव, उनके लेखन का संदर्भ और प्रेरणा, उनके विचार और सुधारवादी नारीवाद के प्रति उनकी प्रतिबद्धता इस जीवनी में देखी जा सकती है। वे सकारात्मक पुरुष पात्रों का उपयोग करके महिलाओं के प्रति भेदभाव करने वालों को चुनौती देने के लिए तैयार हैं। सुधारवादी नारीवाद सामाजिक दासता के एक सुखद अंत की भविष्यवाणी करता है, और अदिची इस विचारधारा के साथ पूरी तरह से सहमत हैं। उनके लेखन का दायरा नाइजीरिया के समाज और इतिहास से प्रभावित है, जिसमें ट्रांस अटलांटिक गुलामी, उपनिवेशीकरण, बियाफ्रा युद्ध, सैनिक विद्रोह और राजनीतिक अस्थिरता शामिल हैं, जिसने 1960 के दशक से 1990 के दशक के अंत तक नाइजीरिया की स्थिति को हिलाकर रख दिया।
वे कहते हैं कि उनकी बुद्धिमत्ता और विचारों से भरी हुई रचनाओं ने उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार और मान्यता दिलाई है। उनका जन्म 15 सितंबर 1977 को नाइजीरिया के एनुगू में हुआ। वह अपने माता-पिता, ग्रेस आइफियुमा और जेम्स न्वाए अदिची के छह बच्चों में पांचवें नंबर पर हैं। उनका यह प्रसिद्ध उद्धरण ध्यान देने योग्य है: "जेंडर के साथ समस्या यह है कि यह बताता है कि हम कैसे हैं, इसके बजाय हमें कैसे होना चाहिए। कल्पना करें कि हम कितने खुश होंगे, अपने असली व्यक्तित्व के लिए कितने स्वतंत्र होंगे, यदि हमारे पास जेंडर की अपेक्षाओं का बोझ न होता।"
चिमामांडा नोगोजी अदिची का भारत में कई संदर्भ हैं, खासकर उनकी साहित्यिक प्रभावशीलता और नारीवाद पर चर्चा के संदर्भ में उनका भारत से जुड़ाव है। अदिची भारत के विभिन्न साहित्यिक उत्सवों और सम्मेलनों में भाग ले चुकी हैं, जहां उन्होंने अपनी रचनाओं और नारीवादी विचारों पर विचार साझा किए हैं। उनकी रचनाएं, जैसे हाफ ऑफ ए येलो सन और अमेरिकनाह, भारतीय पाठकों के लिए भी प्रासंगिक हैं क्योंकि वे पहचान, संस्कृति और नस्लीय मुद्दों पर चर्चा करती हैं, जो भारतीय समाज में भी महत्वपूर्ण हैं।
बहरहाल चिमामांडा नोगोजी अदिची के नारीवादी विचार और कार्य भारतीय नारीवादियों और लेखकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हैं। उनके विचारों ने भारत में महिलाओं के अधिकारों और समानता की बहस में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनकी रचनाओं का हिंदी में अनुवाद होने से, भारतीय पाठक वर्ग को उनके विचारों और कहानियों से जुड़ने का एक अवसर मिला है, जिससे उनके वैश्विक दृष्टिकोण को समझने में मदद मिली है। इन पहलुओं ने अदिची को भारतीय साहित्यिक और सामाजिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण स्थान दिया है।
अहमद सोहैल अमेरिका में रह रहे मशहूर प्रवासी भारतीय साहित्यकार हैं। उनका जन्म: 2 जुलाई, 1953 को हुआ। वे प्रख्यात कवि, साहित्यिक और सांस्कृतिक आलोचक, साहित्यिक विद्वान, समाजशास्त्रीय सिद्धांतकार, निबंधकार, कहावत लेखक, अनुवादक, समाजशास्त्री और अपराधशास्त्री हैं।
Published on:
28 Oct 2024 01:58 pm
बड़ी खबरें
View Allविदेश
ट्रेंडिंग
