scriptट्रंप ने श्वेत वर्चस्व को खूब बढ़ाया, अब वे ही चुनौती बन गए | Trump increased white supremacy, now they becomes a challenge | Patrika News

ट्रंप ने श्वेत वर्चस्व को खूब बढ़ाया, अब वे ही चुनौती बन गए

locationनई दिल्लीPublished: Jan 17, 2021 10:56:23 am

Submitted by:

Mahendra Yadav

ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने ट्रंप को बैन कर अच्छा किया, लेकिन उनके भड़काऊ भाषण और साजिश के सिद्धांतों का प्रसार भी रोकना जरूरी है।
आज पूरे अमरीका ने श्वेत कट्टरता के दुष्प्रभावों को अनुभव किया है।

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हिलेरी क्लिंटन: पूर्व सीनेटर और 2016 में राष्ट्रपति उम्मीदवार

कैपिटल हिल पर हमला डॉनल्ड ट्रंप की श्वेत वर्चस्ववादी सोच को उकसाने का नतीजा है। यह भी सच है कि ट्रंप के जाने के बाद भी इस समस्या का स्थायी हल आसान नहीं है। मैंने ११ सितंबर २००१ को न्यूयॉर्क के एक सीनेटर के रूप में अपने अनुभवों और ९/११ आयोग की रिपोर्ट को याद किया। रिपोर्ट में कहा गया कि आतंकी हमले के पीछे प्रशासनिक ‘गुमान’ एक वजह थी। नेताओं ने खतरे की गंभीरता को नहीं समझा। २० वर्ष बाद फिर वही गुमान नजर आया। जहां एक राष्ट्रपति ने हिंसा भड़काकर देश को नुकसान पहुंचाया, देश के नेता सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साजिश रचते रहे। ट्रंप ने अमरीका को सिर्फ श्वेत वर्चस्ववादियों के नजरिए से ही देखा। उन्होंने व्हाइट हाउस में भी श्वेत लोगों को बड़े और प्रभावशाली पदों पर नियुक्त किया।
ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने ट्रंप को बैन कर अच्छा किया, लेकिन उनके भड़काऊ भाषण और साजिश के सिद्धांतों का प्रसार भी रोकना जरूरी है। बाइडेन को इन जटिलताओं से अब निपटना होगा।
कड़े कानूनों से श्वेत चरमपंथ को रोकना होगा
कट्टर सोच के कई बार घातक परिणाम सामने आते हैं। पिछले वर्ष मिशिगन के लोगों को यह अहसास हुआ, जब सशस्त्र मिलिशिया सदस्यों ने उनके गवर्नर के अपहरण की साजिश रची। आज पूरे अमरीका ने श्वेत कट्टरता के दुष्प्रभावों को अनुभव किया है। कैपिटल हिल पर हमला करने वाले घरेलू विद्रोहियों पर मुकदमा चलाना पर्याप्त नहीं है। ट्रंप को पद से हटाना जरूरी है और मेरा मानना है कि उन पर महाभियोग लाना चाहिए। साथ ही घरेलू ‘आतंकियों’ के साथ साजिश रचने वालों को तत्काल निष्कासित कर देना चाहिए। लेकिन खाली ऐसी कार्रवाई से अमरीका में श्वेत चरमपंथ खत्म नहीं होगा, बल्कि इसके लिए कड़े कानून लाने होंगे।
जब तक आप उस खतरे को अनुभव नहीं करते, तब तक सिद्धांतों की शक्ल में पल रही साजिशों को समझना मुश्किल है। ऐसा सबक मैंने भी सीखा है। मेरे पास उन लोगों के अप्रिय अनुभवों का हिस्सा है, जो मानते थे कि मैं गलत थी। ट्रंप के एक समर्थक ने मेल बम तक भेजा।
साभार: द वॉशिंगटन पोस्ट

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