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सिंधु जल विवाद में अमरीका का हस्तक्षेप, भारत के लिए हो सकता है झटका

बता दें कि सिंधु जल समझौता 1960 में हुआ था जिस पर तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने दस्तखत किए थे।

Jan 04, 2017 / 07:48 am

balram singh

Indus Waters Dispute

Indus Waters Dispute

भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे सिंधु जल विवाद में अमरीका ने हस्तपेक्ष किया है। सबसे खास बात ये है कि इसके लिए अमरीका से किसी भी प्रकार की मदद नहीं मांगी गई थी। यह दावा पाकिस्तान के अखबार डॉन की ओर से किया गया है।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक अमरीका ने बिना ‘दोनों पक्षों से किसी निमंत्रण’ के यह पहल शुरू की है। अगर यह खबर सही है तो भारत के लिए अच्छी बात नहीं है। अमरीका ने हमेशा इस मामले को दोनों देशों का द्विपक्षीय मामला ही माना हा पर इस खबर से भारत को चिंता हो सकती है। 
बता दें कि नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद से भारत और अमरीका के बीच दोस्ती लगातार बढ़ रही है पर अमरीका की इस दखलअंदाजी से भारत और अमरीका के रिश्तों पर असर पड़ सकता है। इससे पहले भारत को रूस भी ठेंगा दिखा चुका है। 
डॉन के मुताबिक, अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने पाकिस्तान के वित्त मंत्री इशाक दार को कॉल कर विवाद का शांतिपूर्ण हल निकालने की बात कही। 30 दिसंबर को पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि इस मुद्दे पर पाकिस्तान के सिद्धांतों और कानूनी स्थिति पर अमेरिकी सहयोग का स्वागत है।
आपको बता दें कि सिंधु जल समझौता 1960 में हुआ था जिस पर तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति अयूब खान ने दस्तखत किए थे। यह समझौता छह नदियों- ब्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चेनाब और झेलम- के पानी के बंटवारे को लेकर है।

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