नेड प्राइस ने ट्वीट कर कहा, हमारी संवेदना हिन्दू समुदाय के साथ है। हम प्रशासन ने आग्रह करते हैं कि पूरे मामले की ठीक से जांच की जाए। धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा बहुत अहम है। अमरीकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की रक्षा किसी खास मजहब तक सीमित नहीं है।
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इस बीच, बांग्लादेश हिंदू समुदाय के सदस्य प्राणेश हल्दर ने अमरीकी विदेश मंत्रालय से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि बांग्लादेश के परेशान हिंदुओं को और नुकसान न पहुंचाया जाए। उन्होंने अमरीका स्थित वाचडॉग समूहों और मीडिया कंपनियों से बांग्लादेश में हिंसा की गंभीरता को उजागर करने का आग्रह किया। बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा और हिंदू घरों और मंदिरों में तोड़फोड़ के विरोध में बांग्लादेशी हिंदू प्रवासियों ने वॉशिंगटन में बांग्लादेश दूतावास के सामने प्रदर्शन किया।
अमरीका स्थित एक हिंदू एडवोकेसी ग्रुप हिंदू पैक्ट के कार्यकारी निदेशक उत्सव चक्रवर्ती ने कहा, यह देखना वास्तव में भयावह है कि नोआखली में हिंदुओं पर इस तरह से हमला किया जा रहा है। अक्तूबर 1946 में वहां 12 हजार हिंदुओं को मार डाला गया और 50 हजार को इस्लाम अपनाने के लिए मजबूर किया गया था।
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हिंदू पैक्ट ने कहा कि बांग्लादेश में स्थानीय हिंदू संगठन नफरत और भेदभाव का निशाना बने हुए हैं, जहां अल्पसंख्यकों की आबादी 1940 के 28 प्रतिशत से घटकर अब नौ फ़ीसद रह गई है।
हिंदू पैक्ट ने कहा कि, हिंसा की यह लहर स्थानीय हिंदू जिस तरह के खतरों का सामना कर रहे हैं उसकी पुष्टि करती है। हिंदुओं को उनके मजहब की वजह से टारगेट किया जा रहा है, उनमें से लगभग 28 लाख लोग बांग्लादेश की आजादी की लड़ाई के दौरान मार दिए गए थे और क़रीब एक करोड़ बेसहारा हो गए थे जिन्हें 1971 में पाकिस्तानी सेना ने शरणार्थी बना दिया था।