ये साफ है कि GBU-43 की गूंज से दुनिया हिल चुकी है। साथ ही डोनाल्ड ट्रम्प की आक्रामकता से लगने लगा है कि कहीं ये तीसरे विश्व युद्घ की दस्तक तो नहीं है। हम आपको बताते हैं कि दुनिया पर इस हमले का क्या असर होगा?
अफगानिस्तान में हमला, पाकिस्तान को चेतावनी अफगानिस्तान में जिस जगह पर अमरीका ने बम गिराया है वो पाकिस्तान के तोरहाम बाॅर्डर से महज 60 किमी की दूरी पर है। आर्इएसआर्इएस के गढ़ में गिराए गए इस बम को एक तौर पर पाकिस्तान के लिए चेतावनी के तौर पर भी देखा जा रहा है। इसका एक सांकेतिक मतलब ये भी है कि पाकिस्तान को आतंकी संगठनों को पनाह देना बंद करना होगा वरना अमरीका का अगला निशाना वो भी हो सकता है। आेसामा बिन लादेन पर हमला कर अमरीका पहले भी पाकिस्तान को चेता चुका है।
सीरिया को छेड़ा तो रूस से हो सकता है टकराव अमरीका ने आर्इएसआर्इएस के ठिकानों पर हमला किया है। फिलहाल अफगानिस्तान से ज्यादा आर्इएसआर्इएस की सक्रियता सीरिया आैर इराक जैसे देशों में है। रासायनिक हमले को लेकर सीरिया पर अमरीका पहले ही मिसाइलें दाग चुका है। इससे रूस नाराज है, एेसे में अमरीका ने यदि आर्इएसआर्इएस को सीरिया में निशाना बनाया तो उसका रूस से टकराव हो सकता है। देखना होगा कि अब अमरीका दुनिया के दूसरे देशों में भी आर्इएसआर्इएस के खिलाफ एेसी ही कार्रवार्इ करता है या फिर वह खुद को अफगानिस्तान तक सीमित रखता है।
रूस आैर चीन पर क्या होगा असर सीरिया पर हमले के बाद अमरीका आैर रूस के बीच रिश्ते खराब दौर में पहुंच चुके हैं। दक्षिण चीन सागर को लेकर अमरीका आैर चीन के रिश्ते पहले से ही सामान्य नहीं है। एेसे में अफगानिस्तान हमले को लेकर रूस आैर चीन किस रूप में लेते हैं। ये देखना होगा यदि दोनों देशों ने इसे अमरीकी ‘दादागिरी’ के तौर पर देखा तो हो सकता है कि एक बार फिर शीत युद्घ जैसे हालात बनें।
उत्तर कोरिया को चुनौती उत्तर कोरिया अपनी परमाणु ताकत के दम पर अमरीका को हर वक्त चुनौती देता रहता है। उत्तर कोरिया के मिसाइल टेस्ट आैर रासायनिक हथियारों को लेकर ट्रम्प पहले ही चेतावनी दे चुके हैं। जवाब में उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग ने साफ कर दिया है कि वो डरने वाला नहीं है। अफगानिस्तान पर ये हमला उत्तर कोरिया को भी चेतावनी है। माना जा रहा है कि उत्तर कोरिया आैर अमरीका के रिश्तों का पूरा दारोमदार अब किम जोंग पर होगा, जिन्हें ये तय करना है कि वो दोनेां देशों के रिश्तों को किस आेर ले जाना चाहते हैं।
भारत पर असर सीरिया पर हमले के बाद अमरीका आैर रूस के बीच दुनिया के कर्इ देश बंटे हुए नजर आए थे। अब भी ये माना जा रहा है कि वही स्थिति एक बार फिर बन सकती है। हालांकि भारत हमेशा से ही गुटनिरपेक्ष की नीति पर चलता रहा है आैर एेसे वक्त पर सधी हुर्इ प्रतिक्रिया व्यक्त करता रहा है। माना जा रहा है कि इसका असर भारत पर कुछ खास नहीं होगा लेकिन आर्इएसआर्इएस जो भारत में अपने कदम जमाने की कोशिश कर रहा है उसे अपना ध्यान भारत आैर अन्य देशों से हटाकर खुद के बचने पर केन्द्रित करना होगा। ये भारत के लिए काफी बड़ी राहत होगी। हालांकि रूस आैर चीन की बढ़ती दोस्ती के बीच यदि भारत ने अमरीका के साथ होने का इशारा भी दिया तो वो एक दौर में अपने सबसे भरोसेमंद सहयोगी रहे रूस को खुद से आैर दूर कर देगा।