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US मीडिया की नसीहत, भारत के सब्र को हल्के में न ले पाक, वरना बन जाएग ‘अछूत देश’

Published: Sep 28, 2016 02:59:00 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

अमेरिकी अखबार ने लिखा है कि भारत के कड़े रुख और संयम को पाकिस्तान लंबे समय तक हलके में नहीं ले सकता और अगर पाकिस्तान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोग के प्रस्ताव को खारिज करता है तो वह पूरी दुनिया के लिए एक ‘अछूत देश’ बन कर रह जाएगा।

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उरी हमले के बाद पाकिस्तान के अडिय़ल रवैये की आलोचना पूरी दुनिया में हो रही है। अब एक अमेरिकी अखबार ने लिखा है कि भारत के कड़े रुख और संयम को पाकिस्तान लंबे समय तक हलके में नहीं ले सकता और अगर पाकिस्तान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सहयोग के प्रस्ताव को खारिज करता है तो वह पूरी दुनिया के लिए एक ‘अछूत देश’ बन कर रह जाएगा। 
अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने मंगलवार को अपने एक लेख में कहा, ‘मोदी फिलहाल पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए हुए हैं और यह आगे भी जारी रहा तो पाकिस्तान के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। अगर मोदी के सहयोग के प्रस्ताव को खारिज किया जाता है तो दुनिया के लिए पहले से अछूत पाकिस्तान, अब और अछूत देश बन जाएगा।’ भारत के नैतिक रुख की हो रही तारीफ लेख में चेतावनी भरे लहजे में गया है, ‘अगर पाकिस्तानी सेना ने सीमा पर से भारत में हथियार और आतंकवादी भेजना जारी रखा तो भारतीय प्रधानमंत्री का रुख बिल्कुल न्यायसंगत होगा।’
वॉल स्ट्रीट जर्नल ने कहा है कि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत का रुख हमेशा से उच्च नैतिक मापदंडों पर खरा रहा है पर पिछली कांग्रेस और बीजेपी की सरकारें इसे स्पष्ट रूप से कभी सख्ती से लागू नहीं कर पाईं। पाकिस्तान ने अब तक नहीं दिया है भारत को एमएफएन का दर्जा सैन्य कार्रवाई न करने के प्रधानमंत्री मोदी के फैसले की तारीफ करते हुए अखबार ने लिखा, ‘मोदी ने सैन्य कार्रवाई के खतरों को समझते हुए, पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने का फैसला किया। वह 1960 का सिंधु जल समझौता रद्द करने पर विचार कर रह हैं। 
साथ ही वह पाकिस्तान को 1996 में दिए गए मोस्ट फेवर्ड नेशन के दर्जे को भी छीन सकते हैं क्योंकि पाकिस्तान ने अभी तक भारत को यह दर्जा नहीं दिया है।’ किसी बड़ी सैन्य कार्रवाई की भूमिका हो रही तैयार आपको बता दें कि यह लेख स्टिमन सेंटर के साउथ एशिया प्रोग्राम के डिप्टी डायरेक्टर समीर ललवानी ने लिखा है। लेख में उन्होंने कहा है कि उरी हमले के बाद भारत के लोगों का गुस्सा और नेताओं की रणनीति देखकर लग रहा है कि किसी बड़ी सैन्य कार्रवाई की पृष्ठभूमि तैयार हो रही है।

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