ताइवान को लेकर अमरीका और चीन के बीच क्यों बढ़ रही है तनातनी?
दरअसल चीन वन चाइना पॉलिसी के तहत ताइवान को अपने देश का हिस्सा मानता है। वहीं दूसरी ओर ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश बताता है। चीन ताइवान को झुका कर अपने कब्जे को मनवाना चाहता है। इधर, अमरीका वन चाइना पॉलिसी को तो मानता है, लेकिन ताइवान को चीन का हिस्सा नहीं मानता है। अमरीकी राष्ट्रपति बाइडेन इस यात्रा से लगभग 2 महीना पहले कह चुके हैं कि हमने वन चाइना पॉलिसी को साइन किया, लेकिन चीन बल के प्रयोग से ताइवान पर अपना अधिकार नहीं जमा सकता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि चीन का ताइवान को लेकर यह कदम एक तरह की नई जंग शुरू कर देगा।
अमरीकी स्पीकर नैंसी पेलोसी ने ताइवानी जनता को दिया संदेश
अमरीकी स्पीकर नैंसी पेलोसी ने स्थानीय मीडिया से बात करते हुए ताइवानी जनता को संदेश दिया। उन्होंने कहा कि मैं यहां ताइवान की जनता की बात सुनने व सीखने आई हूं कि हम एक साथ कैसे आगे बढ़ सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कोरोना महामारी से सफलतापूर्वक निपटने के लिए तानवान को बधाई भी दी। इसके अलावा पेलोसी ने कहा कि हम ताइवान की सरकार से बातचीत करके पृथ्वी को जलवायु संकट से बचाने के लिए एक साथ मिलकर काम करेंगे।
चीन-अमरीका के बीच बढ़ेगी तनातनी!
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अमरीकी स्पीकर नैंसी पेलोसी के ताइवान पहुंचने के तुंरत बाद 21 चीनी सैन्य विमानों ने ताइवान से क्षेत्र में उड़ान भरी। इस उड़ान की पुष्टि ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा मंत्रालय ने भी की। चीन इस यात्रा के बाद ताइवान के खिलाफ सैन्य अभियान चलाने की योजना बना रहा है। वहीं ताइवान को लेकर लगातार अमरीका कह रहा है कि वह उसके साथ खड़ा है, जिसके कारण चीन-अमरीका के बीच आने वाले समय में तनातनी बढ़ सकती है।