यूआईटी व नगर परिषद में कई फर्जी पट्टे अधिकारियों के गले की फंास बनने के बाद अब जिम्मेदार अधिकारी ने फूंक-फूंक कर कदम रखना शुरू कर दिया है। जिसका यह एक बड़ा उदाहरण है कि किसी भी तरह की फर्जकारी से बचने के लिए अधिकारी खुद ही नए नियम लागू कर रहे हैं। तभी तो अलवर नगर परिषद ने यह नियम लागू कर दिया कि जिस भी आवेदक का पट्टे का आवेदन है उसके अगल-बगल वाले दो पड़ोसियों से हलफनामा लिया जाएगा। इसके लिए नगर परिषद ने बकायदा पांच सदस्यों की टीम लगाई है।
नगर परिषद की टीम भेजी
इस कार्य के लिए एक टीम बनाई है, जो पट्टे के आवेदक के पड़ोसियों से यह जानेगी कि सम्बंधित व्यक्ति कब से यहां रह रहा है। खुद रहता है या कोई अन्य, जिसकी जानकारी लिखित में ली जाएगी। यदि किसी व्यक्ति के पड़ोसी से अनबन है या आपस में कोई झगड़ा है और उसने जानबूझकर कोई गलत जानकारी दे दी तो पट्टा भी अटक सकता है। इसलिए नगर परिषद की टीम के पहुंचने से पहले अपने पड़ोसी को हर हाल में मनाना होगा। इतना जरूर राहत मिल सकती है कि एक पड़ोसी कोई जानकारी नहीं दे तो अगले से पूछा जा सकता है।
इस कार्य के लिए एक टीम बनाई है, जो पट्टे के आवेदक के पड़ोसियों से यह जानेगी कि सम्बंधित व्यक्ति कब से यहां रह रहा है। खुद रहता है या कोई अन्य, जिसकी जानकारी लिखित में ली जाएगी। यदि किसी व्यक्ति के पड़ोसी से अनबन है या आपस में कोई झगड़ा है और उसने जानबूझकर कोई गलत जानकारी दे दी तो पट्टा भी अटक सकता है। इसलिए नगर परिषद की टीम के पहुंचने से पहले अपने पड़ोसी को हर हाल में मनाना होगा। इतना जरूर राहत मिल सकती है कि एक पड़ोसी कोई जानकारी नहीं दे तो अगले से पूछा जा सकता है।
दो हजार से अधिक आवेदन लम्बित नगर परिषद में करीब दो हजार से अधिक पट्टों के आवेदन लम्बित हैं। करीब सौ आवेदन की जांच प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब इन आवेदकों की मौका रिपोर्ट तैयार हो रही है। नगर परिषद की टीम आवेदकों के घर पर पहुंचकर पड़ोसियों से उनके वहां रहने के प्रमाण जुटाना शुरू कर दिया है। इस नए नियम का विरोध भी हो रहा है, लेकिन नगर परिषद प्रशासन का स्पष्ट कहना है कि किसी को गलत पट्टा नहीं दिया जा सकता। इसी कारण यह नई शर्त जोड़ी है।