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अमरीका तालिबान के आगे आत्मसमर्पण तो नहीं करने जा रहा ?

locationजयपुरPublished: Feb 02, 2019 04:14:46 pm

Submitted by:

manish singh

पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ईराक से अमरीकी सेना की वापसी नहीं होने दी थी। अब राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को ऐसा ही करना होगा जिससे दुनिया को पता चले की अमरीका अफगानी जनता के साथ है।

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अमरीका तालिबान के आगे आत्मसमर्पण तो नहीं करने जा रहा ?

2002 में जब मैं काबुल (अफगानिस्तान) में अमरीकी दूतावास खोलने के लिए पहुंचा तो हर तरफ तबाही का मंजर था। काबुल एयरपोर्ट बंद हो चुका था। कोई भी इमारत खड़ी नहीं दिख रही थी। हर तरफ मलबे का ढेर था जिसे देख जहन में 1945 के बर्लिन की तस्वीर उभर आई। 1970 के दौर से आंतरिक युद्ध से गुजर रहे अफगानिस्तान का हर व्यक्ति त्रस्त है। लेकिन महिलाओं और लड़कियों की हालत अन्य लोगों से खराब है। अक्टूबर 2001 में जब अमरीका 9/11 हमले के मास्टरमाइंड की तलाश में अफगानिस्तान पहुंचा तो वहां की स्थिति और खराब हुई। तालिबान ने लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया था। लड़कियों के लिए पहला स्कूल अमरीका ने खोला जहां छठी से 12वीं तक के बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था की गई थी। तालिबान के अंत के वक्त करीब नौ लाख बच्चे स्कूल जाते थे जिसमें सब लडक़े थे।

2012 में जब मैंने अफगानिस्तान छोड़ा तब 80 लाख बच्चे स्कूल जाते थे जिसमें 40 फीसदी लड़कियां थीं। अमरीका ने कहा है कि अमरीकी सेना अफगानिस्तान छोड़ देगी। सवाल है कि क्या तालिबान आतंकी गतिविधियों से दूर रहेगा? ‘क्या वे वादा करेगा कि 9/11 जैसा हमला नहीं दोहराएगा’। अमरीका आत्मसमर्पण की स्थिति में है। अमरीकी सेना को अफगानिस्तान में तब तक रहना चाहिए जब तक वहां की मौजूदा सरकार चाहती है। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ईराक से अमरीकी सेना की वापसी नहीं होने दी थी। अब राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को ऐसा ही करना होगा जिससे दुनिया को पता चले की अमरीका अफगानी जनता के साथ है।

रियान क्रॉकर, अफगानिस्तान में अमरीका के पूर्व राजदूत, वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत

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