अगर ऐसा ही रहा तो पूरी धरती के घूमने का नियम ही बदल जाएगा
साइंस डेली की रिपोर्ट के मुताबिक कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के नेचर जर्नल में छपे शोध में बताया गया कि इस ट्रेंड की शुरुआत 2010 के आसपास हुई। यह ट्रेंड बना रहा तो पूरे ग्रह के घूर्णन को बदल सकता है। इससे रात के मुकाबले दिन लंबे हो सकते हैं। एक अन्य शोधकर्ता प्रोफेसर विडेल का कहना है कि धरती अपनी धुरी पर घूमती रहती है, लेकिन हमें इसका एहसास नहीं होता। आंतरिक कोर की बैकट्रैकिंग एक दिन की लंबाई को एक सेकंड के अंशों तक बदल सकती है।
हमारे ग्रह का सबसे गर्म और घना हिस्सा
शोध के दौरान वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के आंतरिक कोर के घूर्णन की रफ्तार को लगातार मॉनिटर किया। उनके मुताबिक आंतरिक कोर ठोस है, जो लोहे और निकिल से बनी है। यह हमारे ग्रह का सबसे गर्म और घना हिस्सा है, जहां तापमान 5,500 डिग्री सेल्सियस रहता है। आंतरिक कोर चांद के आकार की है और हमारे पैरों के नीचे करीब 3,000 मील से ज्यादा दूर है।
भूकंपीय तरंगों के जरिए अध्ययन
शोधकर्ताओं का कहना है कि इंसान चांद पर तो पहुंच गया, लेकिन पृथ्वी के आंतरिक कोर तक पहुंचना नामुमकिन है। भूकंपीय तरंगों के जरिए इस कोर का अध्ययन किया जा सकता है। कोर के भीतर होने वाली हलचल से उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी को हानिकारक सौर विकिरण और ब्रह्मांडीय कणों से बचाता है। भू-चुंबकीय क्षेत्र जीवों के लिए नेविगेशन सक्षम बनाता है।