अब चीन ने भी भारत के इस रुख का समर्थन किया है और उसका मानना है कि ब्रिक्स सम्मेलन में विकासशील/उभरती अर्थव्यवस्थाओं को शामिल किया गया था और पाकिस्तान इसमें फिट नहीं बैठता है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था भी श्रीलंका की तरह जूझ रही है। उसके पास इतने पैसे नहीं है कि अपना कर्ज भी चुका सके। वो भी अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए बेल आउट पैकेज से उम्मीद लगाए बैठा है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले चीन में मौजूद भारतीय राजदूत ने कई द्विपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की थी। इसके बाद ही चीन के रुख में बदलाव देखने को मिला और इसे भारत की कूटनीतिक जीत बताई कहा जा रहा है। ऐसे में पाकिस्तान के प्रयास के बावजूद स्पष्ट हो गया कि चीन भी भारत के रुख से सहमति रखता है।
ऐसा लगता है कि चीन अब अपनी विदेश नीति में बदलाव कर रहा है। वो रूस के साथ-साथ पाकिस्तान से भी थोड़ी दूरी बना रहा है। इसके पीछे की वजह अमेरिका माना जा रहा है जो पाकिस्तान से नाराज चल रहा है और इसका खामियाजा पाकिस्तान आज भी भुगत रहा है। दूसरा कारण चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) पर पाकिस्तान में लगातार हो रहे हमले और प्रोजेक्ट की गति कम होना माना जा रहा है।कई अवसरों पर इस मुद्दे पर चीन अपनी नाराजगी भी व्यक्त कर चुका है।
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बता दें कि पाकिस्तान को न्योता भेजेने के लिए चीन ने भी शुरुआत में कोशिश की थी, पर ये भी नाकाम साबित हुआ। इसके बाद पाकिस्तान ने बिना नाम लिए भारत पर अपनी खुंदस निकाली। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “हमने देखा है कि इस साल ‘वैश्विक विकास पर हाई लेवल की वार्ता’ ब्रिक्स सम्मेलन में आयोजित की गई थी जिसमें कई विकासशील/उभरती अर्थव्यवस्थाओं को आमंत्रित किया गया था … अफसोस, केवल एक सदस्य (ब्रिक्स के) ने पाकिस्तान की भागीदारी पर रोक लगा दी।”
गौरतलब है कि चीन ने 23 और 24 जून को वर्चुअल तरीके ब्रिक्स सम्मेलन की मेजबानी की। 24 जून को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ग्लोबल डेवलपमेंट पर ‘वैश्विक विकास पर हाई लेवल की वार्ता’ का आयोजन किया था। इसी बैठक में गैर ब्रिक्स देश भी शामिल हुए थे।