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Middle East : क्यों अशांत हैं मध्य-पूर्व के देश

-तुर्की (turkey), सीरिया (syria) के साथ सीमा विवाद के चलते एक और अरब क्रांति (arab spring) को हवा दे रहा है। -लगभग दस लाख सीरियाई बेघर हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं।

Mar 15, 2020 / 08:50 pm

pushpesh

Middle East : क्यों अशांत हैं मध्य-पूर्व के देश

जयपुर.
विनाशकारी आंदोलन के साथ 2011 की अरब क्रांति सबसे बड़ा विद्रोह था। लेकिन इसकी अच्छी बात ये रही कि इसने अत्याचारों पर अंकुश लगाया। इसकी शुरुआत ट्यूनीशिया से हुई थी। 2011 में तानाशाह जीन अल अबेदीन बेन अली के सत्ता से हटाए जाने के बाद आई सरकार में उन्होंने असफल हस्तक्षेप किया। मिस्र की सत्ता एक से दूसरे तानाशाह को हस्तांतरित होती रही जबकि लीबिया, यमन और सीरिया गृहयुद्धों की आग में झुलसते रहे। अब तुर्की, सीरिया के साथ सीमा विवाद के चलते एक और अरब क्रांति को हवा दे रहा है। लगभग दस लाख सीरियाई बेघर हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे हैं। ये कड़ाके की ठंड में तुर्की की सीमा पर शरण लिए हुए हैं। उधर तुर्की इस सीमांत क्षेत्र पर नियंत्रण के लिए गठबंधन सेनाओं से लगातार लड़ रहा है।
संक्षेप में कहें तो सीरिया में विद्रोह ने बशर अल असद की तानाशाही को अस्थिर तो कर दिया, लेकिन हटाने में असफल रहा। गृहयुद्ध के इन वर्षों में सत्ता पर पकड़ बनाए रखने के लिए असद ने स्कूल और अस्पतालों पर हवाई हमले, रासायनिक हमले जैसे क्रूर और अनैतिक तरीके अपनाए। ईरान समर्थित मिलिशिया और रूसी वायु सेना उसका साथ दे रही है। असद के इन कारनामों ने आधी से अधिक आबादी को विस्थापित कर दिया। इनमें करीब 35 लाख शरणार्थी तुर्की में हैं, जो उस देश के संसाधानों पर भारी पड़ रहे हैं। लाखों लोगों को यूरोप के रास्ते निकाल दिया, जो अप्रवासी राष्ट्रवाद के खिलाफ थे। असद अब अपने आखिरी गढ़ इदलिब प्रांत और उत्तर-पश्चिमी सीरिया के अलेप्पो के कुछ हिस्सों में तुर्की समर्थित विद्रोहियों से जूझ रहे हैं।
तुर्की इसलिए मध्य-पूर्व के दशों से अलग-थलग पड़ा

तुर्की ने खेला नया दांव
पिछले हफ्ते नाटो सदस्य तुर्की ने एक हमले के लिए रूस को दोषी ठहराया था। इसमें करीब 33 तुर्की सैनिकों की मौत हो गई थी। इसके जवाब में रूस ने एक और दांव चलते हुए अपने ब्लैक सी बेड़े से युद्धपोतों को तुर्की के करीब से इदलिब भिजवाया। बढ़ते तनाव के बीच तुर्की को पश्चिमी गठबंधन के समर्थन की उम्मीद है। तुर्की के नेता रेसेप तैयप एर्दोगन ने घोषणा कर दी कि इदलिब के लोगों को यूरोप तक पहुंचाने के लिए वह अपनी सीमाएं खोल रहे हैं। पहले ही सीरियाई शरणार्थियों से जूझ रहे यूरोप की उस स्थिति में क्या प्रतिक्रिया होगी जब कोरोना वायरस की आशंका के बीच दस लाख कुपोषित प्रवासी वहां आने लगेंगे जो यूरोपीय संघ के खुले, सहकारी, मुक्त व्यापार के लिए गंभीर खतरा हो सकता है।
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इसलिए ट्रंप के रक्षा सचिव ने दिया था इस्तीफा
अब राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप समझ गए होंगे कि उनके पूर्व रक्षा सचिव जिम मैटिस उत्तरी सीरिया में अमरीकी विशेष दलों की एक टुकड़ी को वहां रखने के लिए क्यों अड़े हुए थे और सैनिकों को वहां से हटाने वाले ट्रंप के फैसले पर इस्तीफा क्यों दिया? 9/11 के बाद से अमरीकी राष्ट्रपति मध्य-पूर्व को लेकर चूक कर रहे हैं, सैनिकों को वापस बुला रहे हैं। मध्य-पूर्व ने अमरीकी राजनीतिक दृष्टिकोण को गलत साबित कर दिया। चाहे हम विदेश हस्तक्षेप को बढ़ावा दें या इसकी आलोचना करें, हम अपने कार्यों की नैतिक शुद्धता को परी कथाओं की तरह मापते हैं। सत्ता को झकझोरने के साथ ही अरब क्रांति में कई संदेश भी छुपे हुए हैं। इसी में मध्य-पूर्व का भविष्य भी है।
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