असल में ट्रंप को अब ये लगने लगा है कि अमरीकी सेना पर मोटी रकम खर्च करने और युद्ध करने से राजनीतिक महत्वकांक्षा पूरी नहीं हो सकती है। अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेम्स बोल्टन और वाशिंगटन डीसी के अधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि अमरीकी सेना का लक्ष्य सिर्फ आइएस को खत्म करना ही नहीं बल्कि सीरिया में ईरान के दखल को भी खत्म करना है। सीरिया में आइएस की मौजूदगी को लेकर अमरीकी अधिकारियों में भ्रम की स्थिति है। सैन्य अधिकारी कमजोर हो चुके आइएस को छोडकऱ जल्दी से युद्ध के मैदान से निकलना चाहते हैं। सैन्य अधिकारियों को डर है कि तुर्की अमरीकी सहायता से चलने वाले सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस के खिलाफ युद्ध छेड़ देगा। वहीं अमरीकी एनएसए बोल्टन का कहना है कि सेना तभी वापस होगी जब स्थिति सेना के अनुकूल होगी। ट्रंप भले ही सीरिया में लड़ाकों के खिलाफ उग्र हैं लेकिन वे राष्ट्रपति बशर अल असद को सत्ता से किसी हाल में बेदखल नहीं करना चाहते हैं। इसी कारण दिसंबर में घोषणा कर दी कि आइएस परास्त हो चुका है, जबकि हकीकत इसके उलट है। इस मसले पर सीरिया में अमरीका के दूतावास अधिकारी रहे रॉबर्ट फोर्ड का कहना है कि जब राष्ट्रपति किसी बात को लेकर घबराए रहते हैं तो वे अधिकारियों को डराते हैं कि वे पेंटागन से दूर न जाएं और अपनी सीमा में ही रहें।
ईशान थरूर, विदेश मामलों के जानकार, वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत