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ट्रंप आखिर बशर को अपदस्थ क्यों नहीं करना चाहते?

locationजयपुरPublished: Jan 11, 2019 07:53:14 pm

Submitted by:

manish singh

अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पिछले महीने अपने सभी सहयोगियों और सलाहकारों को उस वक्त हैरान कर दिया जब उन्होंने ऐलान कर दिया कि अमरीका सीरिया से अपनी सेना को वापस बुलाएगा।

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ट्रंप आखिर बशर को अपदस्थ क्यों नहीं करना चाहते?

अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने पिछले महीने अपने सभी सहयोगियों और सलाहकारों को उस वक्त हैरान कर दिया जब उन्होंने ऐलान कर दिया कि अमरीका सीरिया से अपनी सेना को वापस बुलाएगा। इस फैसले के बाद आलोचकों का कहना था कि ट्रंप रूस और ईरान के हाथों में खेल रहे हैं तो कुछ ने कहा कि ये विश्वासघात जैसा है। ट्रंप के इस फैसले के बाद विदेश सचिव जिम मैटिस ने विरोध में इस्तीफा दे दिया। इसके बाद आइएस के खिलाफ अभियान छेडऩे वाले व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने अपने पद छोडऩे शुरू कर दिए। आनन-फानन में ट्रंप ने 30 दिन की समय-सीमा को चार महीने करीब 120 दिन कर दिया जिससे स्थिति सामान्य हो सके। इसके बाद एक बयान जारी कर कहा कि सीरिया से सेना की वापसी तब तक नहीं होगी जब तक आइएसआइएस का अंत नहीं हो जाता।

असल में ट्रंप को अब ये लगने लगा है कि अमरीकी सेना पर मोटी रकम खर्च करने और युद्ध करने से राजनीतिक महत्वकांक्षा पूरी नहीं हो सकती है। अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेम्स बोल्टन और वाशिंगटन डीसी के अधिकारियों ने स्पष्ट कहा कि अमरीकी सेना का लक्ष्य सिर्फ आइएस को खत्म करना ही नहीं बल्कि सीरिया में ईरान के दखल को भी खत्म करना है। सीरिया में आइएस की मौजूदगी को लेकर अमरीकी अधिकारियों में भ्रम की स्थिति है। सैन्य अधिकारी कमजोर हो चुके आइएस को छोडकऱ जल्दी से युद्ध के मैदान से निकलना चाहते हैं। सैन्य अधिकारियों को डर है कि तुर्की अमरीकी सहायता से चलने वाले सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेस के खिलाफ युद्ध छेड़ देगा। वहीं अमरीकी एनएसए बोल्टन का कहना है कि सेना तभी वापस होगी जब स्थिति सेना के अनुकूल होगी। ट्रंप भले ही सीरिया में लड़ाकों के खिलाफ उग्र हैं लेकिन वे राष्ट्रपति बशर अल असद को सत्ता से किसी हाल में बेदखल नहीं करना चाहते हैं। इसी कारण दिसंबर में घोषणा कर दी कि आइएस परास्त हो चुका है, जबकि हकीकत इसके उलट है। इस मसले पर सीरिया में अमरीका के दूतावास अधिकारी रहे रॉबर्ट फोर्ड का कहना है कि जब राष्ट्रपति किसी बात को लेकर घबराए रहते हैं तो वे अधिकारियों को डराते हैं कि वे पेंटागन से दूर न जाएं और अपनी सीमा में ही रहें।

ईशान थरूर, विदेश मामलों के जानकार, वाशिंगटन पोस्ट से विशेष अनुबंध के तहत

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