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CORONA VACCINE : क्या रूसी वैक्सीन ‘स्पूतनिक-वी’ के लिए भ्रम फैला रहे हैं यूरोपीय देश ?

-भारत और ब्राजील सहित कई देशों के मानकों पर खरी नहीं उतरी स्पूतनिक-वी-रूस का आरोप, यूरोपीय और अमरीकी वैक्सीन को स्वीकृति दी जा रही है, जबकि स्पूतनिक को नहीं

जयपुरJan 04, 2021 / 12:55 am

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CORONA VACCINE : क्या रूसी वैक्सीन ‘स्पूतनिक-वी’ के लिए भ्रम फैला रहे हैं यूरोपीय देश ?

रूस की कोरोना वैक्सीन स्पूतनिक-वी को उम्मीद के मुताबिक बाजार नहीं मिल पाने और नियामकों के खारिज करने से नाराज रूस ने यूरोपीय देशों पर इसके भ्रामक प्रचार करने का आरोप लगाया है। वैक्सीन की अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति को लेकर रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआइएफ) के सीईओ किरिल दिमित्री का कहना है कि हम खेल को समझते हैं। इसके पीछे कुछ गलतफहमियां, कुछ पूर्वाग्रह हैं, जो रूसी टीके को विफल साबित करने प्रयास का हिस्सा है। जैसे पड़ोसी चीन भू-राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए रूस की वैज्ञानिक सफलता को कमतर बता रहा है।
ये बात और है कि चीन खुद अपने टीकों की विश्वसनीयता को प्रमाणित करने के लिए संघर्ष कर रहा है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अगस्त में कोविड-19 के पहले टीके स्पूतनिक-वी को मंजूरी मिलने के बाद इसके लिए आश्वस्त किया था, लेकिन कई देशों के नियामकों ने स्पूतनिक को स्वीकृति नहीं दी। जबकि अमरीकी और यूरोपीय टीकों को मिल गई। वैक्सीन के बड़े बाजार भारत और ब्राजील ने अभी तक ऐसा कोई अनुबंध अभी तक नहीं किया।
भारत और ब्राजील से लगा झटका
भारत में स्पूतनिक की उम्मीदों को तब झटका लगा, जब यहां स्वास्थ्य नियामकों ने और ट्रायल की मांग कर डाली। आरडीआइएफ ने टीके के आपातकालीन प्रयोग की मांग की, लेकिन यह 2021 के मध्य तक संभव नहीं लगता। फिर भारत ने अपना टीका भी तैयार कर लिया। ब्राजील में भी पिछले वर्ष नवंबर तक टीके की आपूर्ति भी खटाई में पड़ गई।
वैक्सीन के जरिए रूस की पावर डिप्लोमेसी
यूरोपीय देशों का मानना है कि रूस ने प्रभाव को दर्शाने के लिए टीके के तीसरे चरण का अध्ययन करने से पहले ही मंजूरी दे दी। न्यूयॉर्क की वील कॉर्नेल मेडिकल कॉलेज के वैक्सीन शोधकर्ता जॉन मूर का कहना है कि रूस सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी के लिए टीके का इस्तेमाल कर रहा है। दरअसल, ये द्वंद्व शीतयुद्ध के जमाने से चला आ रहा है। सोवियत संघ 1957 में पहली बार पहला उपग्रह स्पूतनिक प्रक्षेपित कर दौड़ में आगे निकल गया तो 12 वर्ष बाद अमरीका ने चांद पर अंतरिक्षयात्री भेजे। रूसी वैक्सीन का नाम स्पूतनिक रखने के पीछे भी यही थ्योरी है, कि वह अब भी आगे रहना चाहता है।
कुछ देशों ने कर लिया जल्द भरोसा
कुछ देशों ने रूसी टीके पर जल्द भरोसा किया, जैसे बेलारूस, रूस के बाहर वैक्सीन को मंजूरी देने वाला पहला देश था। अर्जेंटीना ने तीन लाख लोगों का टीकाकरण शुरू कर दिया। गिनी टीके का वितरण करने वाला पहला अफ्रीकी देश है, जबकि बॉलीविया ने 52 लाख खुराक मांगी हैं। सर्बिया को 2400 खुराक का पहला बैच भेज दिया गया।

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