संविधान बदलने के पीछे ये है पुतिन की मंशा क्रीनिया विवाद को कानूनी हल देना चाहते हैं
वाशिंगटन पोस्ट में इसाबेल खुरसुदयान लिखती हैं, पुतिन को अपने सत्ता विस्तार को लेकर राष्ट्रव्यापी चुनाव करवाने की आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि मार्च में रूस की संसद पहले ही इसकी मंजूरी दे चुकी है। दरअसल चुनाव के जरिए पुतिन इस विस्तार को वैध बनाना चाहते थे। इसके लिए पुतिन ने पहले से तैयारी कर ली थी। कोरोना प्रकोप के बावजूद 24 जून को लॉकडाउन से प्रतिबंध हटा लिए। भले ही साढ़े छह लाख से अधिक संक्रमितों के कारण वह अमरीका और ब्राजील के बाद तीसरा सबसे अधिक प्रभावित देश है। कार्नेगी मॉस्को सेंटर की तातियाना स्तानोवाया का मानना है कि चुनाव के बहाने पुतिन क्रीमिया विवाद को कानूनी हल देना चाहते हैं, जिस पर रूस ने 2014 में कब्जा कर लिया था। पुतिन भले ही लंबे समय तक रूस पर शासन करेंगे, लेकिन वे स्थिरता को छोड़ मौजूदा हालातों में मजबूती नहीं दे सकते। कई विदेशी नेता पुतिन के कार्यकाल विस्तार से चिंतित हो सकते हैं।
वाशिंगटन पोस्ट में इसाबेल खुरसुदयान लिखती हैं, पुतिन को अपने सत्ता विस्तार को लेकर राष्ट्रव्यापी चुनाव करवाने की आवश्यकता नहीं थी, क्योंकि मार्च में रूस की संसद पहले ही इसकी मंजूरी दे चुकी है। दरअसल चुनाव के जरिए पुतिन इस विस्तार को वैध बनाना चाहते थे। इसके लिए पुतिन ने पहले से तैयारी कर ली थी। कोरोना प्रकोप के बावजूद 24 जून को लॉकडाउन से प्रतिबंध हटा लिए। भले ही साढ़े छह लाख से अधिक संक्रमितों के कारण वह अमरीका और ब्राजील के बाद तीसरा सबसे अधिक प्रभावित देश है। कार्नेगी मॉस्को सेंटर की तातियाना स्तानोवाया का मानना है कि चुनाव के बहाने पुतिन क्रीमिया विवाद को कानूनी हल देना चाहते हैं, जिस पर रूस ने 2014 में कब्जा कर लिया था। पुतिन भले ही लंबे समय तक रूस पर शासन करेंगे, लेकिन वे स्थिरता को छोड़ मौजूदा हालातों में मजबूती नहीं दे सकते। कई विदेशी नेता पुतिन के कार्यकाल विस्तार से चिंतित हो सकते हैं।
PUTIN : इस तरह पुतिन बन जाएंगे रूस के सबसे ताकतवर व्यक्ति इस हफ्ते एक रिपोर्ट के मुताबिक अमरीकी खुफिया अधिकारियों ने पता लगाया है कि एक रूसी सैन्य जासूसी समूह ने अफगानिस्तान में गठबंधन सेना पर हमला करने के लिए तालिबान से जुड़े आतंकियों को इनाम की पेशकश की थी। गठबंधन सेना में अमरीका के अलावा ब्रिटिश सैनिक भी हैं। हालांकि मास्को ने इन आरोपों का यह कहते हुए खंडन कर दिया कि इस तरह की बातें अमरीकी खुफिया अधिकारियों की कम बौद्धिक क्षमता को उजागर करता है, जिन्होंने अफगानिस्तान में 20 वर्ष के युद्ध के दौरान अमरीका को विफल बनाया।