script

नवरात्रों में ध्यान रखें पूजा-अर्चना से जुड़ी नौ बातें

Published: Oct 14, 2015 01:31:00 pm

नवरात्र में माता के विभिन्न रूपों की आराधना कर उन्हें
प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है

durga

durga

संसार का निर्माण, पालन व संहार करने की शक्ति माता दुर्गा हैं। देवी ही ब्रह्मा, विष्णु व महेश की मूल शक्तिहैं। वेदों से लेकर देवी भागवत और अन्य पुराणों में वही शक्ति अनेक नामोें से कही गई है। उन्हें सती, साध्वी, भवप्रीता, भवानी, भवमोचनी, आर्या, दुर्गा, जया और आद्या भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। त्रिनेत्रा व शूलधारिणी नाम भी स्तुतियों में हैं। नवरात्र में माता के विभिन्न रूपों की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है। इस समय दुर्गासहस्रनाम, दुर्गाशतनाम, दुर्गाद्वादशनाम स्तोत्रों का पाठ करना अत्यंत फलदायी है।

पूजा-अर्चना से जुड़ी नौ बातें

(1) रोली : कुमकुम एवं लाल चंदन से तिलक लगाना चाहिए। यह पवित्र व पुण्यदायी होता है। पुरूषों को पूरा तिलक व महिलाओं को दाएं हाथ की अनामिका अंगुली से बिंदु लगानी चाहिए।

(2) चावल : तिलक में अक्षत लगाने का भाव व्यक्ति की आयु से जुड़ा है। मान्यता है इससे अनिष्ट टलता है।

(3) मौली : यह रक्षा सूत्र है। इसे बांधने से अनेक अरिष्टों से बचाव होता है। पुरूषों को दाएं, कन्याओं और महिलाओं को बाएं हाथ में मौली बांधनी चाहिए।

(4) हवन : रोजाना हवन से देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं। यदि हवन संभव न हो सके तो प्रतिदिन धूप या ज्योत दर्शन करें।

(5) ज्वारे : देवी को नवधान्य अंकुर चढ़ाने का विधान है। यह पर्यावरण के प्रति जागृति का प्रतीक है।

(6) भोग : देवी को रोजाना नारियल, गुड़, पताशा व मेवे का भोग लगाना चाहिए।

(7) ज्योत : देवी के पूजन में अखंड दीपक जलाना श्रेष्ठ है। यदि यह संभव न हो तो पूजन काल में दीपक जरूर प्रज्ज्वलित करना चाहिए।

(8) व्रत : नवरात्र में नौ दिन व्रत करने चाहिए। यह व्रत फलाहार या निराहार दोनों ही होते हैं। यदि पूरे नौ दिन व्रत संभव न हो सके तो प्रथम और अंतिम दिन व्रत जरूर करना चाहिए।

(9) कन्यापूजन : बच्चियों को देवी का रूप माना जाता है इसलिए नवरात्र में विशेषकर अष्टमी या नवमी को कन्या पूजन अवश्य करें।



बच्चे अगर व्रत रखें

नवरात्र के व्रत बच्चे और बुजुर्ग भी कर सकते हैं। यह जरूर ध्यान में रखने की बात है कि आठ वर्ष से अधिक आयु के बच्चों को ही व्रत कराना उचित होता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार इस उम्र के बाद ही उन्हें व्रत आदि करने का अधिकार प्राप्त होता है।

“अब आप पा सकते हैं अपनी सिटी की हर खबर ईमेल पर भी – यहाँ क्लिक करें

ट्रेंडिंग वीडियो